• 29 Jun, 2025

अयोध्या में राम विराजेंगे तो होगी धन की बरसात

अयोध्या में राम विराजेंगे तो होगी धन की बरसात

अयोध्या में राम मंदिर की लड़ाई करीब 500 वर्षों से चल रही थी.बाबर के शासन में उसके सेनापति मीर बाकी ने इस मंदिर को तोड़ा था. तभी से हिंदू धर्म के मानने वाले, इस जगह पर श्रीराम मंदिर की स्थापना का सपना देख रहे थे. बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर की स्थापना की कानूनी लड़ाई वर्ष 1885 से ही शुरू हो गई थी. अब राम मंदिर बन जाने से यहाँ धन की बरसात होगी

लखनऊ। अयोध्या में राम मंदिर की लड़ाई करीब 500 वर्षों से चल रही थी. वर्ष 1528 में मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी. बाबर के शासन में उसके सेनापति मीर बाकी ने इस मंदिर को तोड़ा था. तभी से हिंदू धर्म के मानने वाले, इस जगह पर श्रीराम मंदिर की स्थापना का सपना देख रहे थे. बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर की स्थापना की कानूनी लड़ाई वर्ष 1885 से ही शुरू हो गई थी.
तब महंत रघुबर दास ने अयोध्या की स्थानीय अदालत में जन्मस्थान को लेकर मुकदमा दायर किया था. मुकदमे के जरिए चबूतरे पर मंदिर बनाने की मांग की गई थी. लंबी कानूनी लड़ाइयों के बाद आखिकार करीब 134 साल बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का कानूनी फैसला आया. उस फैसले के करीब 4 साल बाद वो मौका आया है, जब रामलला, मंदिर में विराजेंगे.
देश की जनता जानती है कि इस पूरी लड़ाई में किस राजनीतिक दल या किस राजनेता ने मंदिर बनाए जाने का पक्ष लिया, और वो ये भी जानती है कि किस राजनीतिक दल या नेता ने मंदिर का विरोध किया. आज देश की राजनीति राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गर्माई हुई है. यही वजह है कि एक राजनीतिक गुट प्राण प्रतिष्ठा के पक्ष में श्रद्धा भाव दिखा रहा है, तो दूसरा पक्ष राम मंदिर को लेकर विरोधी बयानबाजी कर रहा है. जबकि इनसे अलग अयोध्या देश की अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित होगी

तो ऐसे लोग जो अक्सर हिंदू मंदिरों की जगह अस्पताल और स्कूल बनाए जाने की बातें करते हैं, उनके लिए हम मंदिर इकोनॉमी से जुड़ी कुछ खास जानकारी लेकर आए हैं. दरअसल जो लोग मंदिर ना बनाकर अस्पताल या स्कूल बनाने की बातें कह रहे हैं, वो इस पूरे घटना की या कहें कि राम मंदिर निर्माण के बाद की तस्वीर नहीं देख पा रहे हैं. वो ये नहीं समझ पा रहे हैं कि अयोध्या में राममंदिर बनने के बाद केवल अयोध्या में ही नहीं, आसपास के बड़े क्षेत्रों में भी सकारात्मक असर दिखेगा.

- भारत में लगभग 2 करोड़ सिख हैं, प्रतिदिन 1 लाख से ज्यादा लोग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने जाते हैं. दुनिया में हिंदुओँ की आबादी 120 करोड़ से ज्यादा है. श्रीराम मंदिर में प्रतिदिन 1 से 2 लाख श्रद्धालू दर्शन के लिए आ सकते हैं. इसका मतलब ये है कि प्रतिवर्ष अयोध्या में करीब 7 करोड़ श्रद्धालु या पर्यटक आ सकते हैं. इन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने से अयोध्या में रुकने, खाने-पीने और खरीदारी का बड़ा बाजार तैयार होगा. इससे लाखों लोगों के लिए रोजगार के मौके बनेंगे.

- अयोध्या में ये बदलाव मंदिर बनाए जाने का फैसला आने के बाद से ही शुरू हो गया था. उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2019 में 3 लाख 40 हजार नौ सौ सड़सठ लोग अयोध्या गए थे. जबकि वर्ष 2022 में ये आंकड़ा बढ़कर 2 करोड़ उन्तालिस लाख 9 हजार था. यानी 3 वर्षों में अयोध्या आने वाले तीर्थयात्रियों और सैलानियों की संख्या लाखों से करोड़ों में पहुंच चुकी है, और अभी प्राण प्रतिष्ठा भी नहीं हुई है.

- केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक भारत के 60 प्रतिशत पर्यटक धार्मिक कारणों से यात्राएं करते हैं. धार्मिक स्थलों ने वर्ष 2021 में 65 हजार करोड़ की आमदनी की थी. ये आमदनी वर्ष 2022 में बढ़कर 1 लाख 34 हजार करोड़ रुपये हो गई थी. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इस आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी होगी.

- अयोध्या में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए बड़ी मात्रा में निवेश भी किया जा रहा है. अयोध्या में अब तक 50 हजार करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इसमें अयोध्या के लिए नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नया रेलवे स्टेशन और अस्पताल भी शामिल है. अयोध्या के आसपास 8 नए छोटे शहर भी बसाए जा रहे हैं. जिनमें बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है.

- दक्षिण भारत का तिरुपति बालाजी मंदिर सीधे तौर पर लगभग 20 हजार लोगों को रोजगार देता है. जबकि कई हजार लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलता है. राम मंदिर की वजह से भी अयोध्या में लाखों लोगों को सीधे और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेंगे. ये नौकरियां इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट, टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में होंगी.

- इसके अलावा अयोध्या में आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के रुकने के लिए नए होटल और रेजॉर्ट्स भी बनाए गए हैं. इनमें भी हजारों लोगों को नौकरियों के अवसर मिल रहे हैं.

- राममंदिर में बड़े पैमाने पर श्रद्धालु चढ़ावा भी देंगे. उदाहरण के तौर पर तिरुपति बालाजी मंदिर में हर साल करीब ढाई सौ करोड़ रुपये का चढ़ावा आता है. मंदिर का ट्रस्ट इस चढ़ावे का एक बड़ा हिस्सा आसपास के क्षेत्रों के विकास में लगाता है. इसमें स्कूल, अस्पताल, पार्क जैसी सुविधाएं शामिल हैं.

- श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां भी बडी मात्रा में चढ़ावा आएगा और ट्रस्ट इसका एक हिस्सा, अयोध्या और उसके आसपास के क्षेत्र के विकास पर लगा सकता है.
यानी अयोध्या में केवल एक श्री राम मंदिर की वजह से मंदिर इकॉनोमी डेवलप होगी, जिसका फायदा यकीनन उन लोगों को मिलेगा, जो इस क्षेत्र में रहते हैं. यही नहीं, इस पूरे क्षेत्र के लोगों को नौकरियों के भी अवसर मिलेंगे. जो लोग मंदिर का विरोध करते रहे हैं, या फिर जो लोग मंदिर की जगह अस्पताल या स्कूल बनाने की बात कहते रहे हैं, उन्होंने वो नहीं सोचा, जो असल में होता आया है. उन्होंने ये नहीं सोचा कि इससे कैसे अयोध्या की तस्वीर और तकदीर बदलेगी..उन्होंने ये नहीं सोचा कि कितने लोगों को रोजगार मिलेगा..