• 29 Jun, 2025

बेहतर सड़क सुरक्षा की दिशा में

बेहतर सड़क सुरक्षा की दिशा में

एक अनुमान के अनुसार, यदि पीड़ितों को गोल्डन ऑवर (दुर्घटना के बाद के 2 घंटे) के दौरानउपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, तो काफी संख्या में होने वाली मौतों को टालाजा सकता है।

*धर्मानंद सारंगी, महानिदेशक (सड़क विकास) तथा विशेष सचिव, सड़क परिवहन

एवं राजमार्ग मंत्रालय

*पंकज अग्रवाल, मुख्य अभियंता (सड़क सुरक्षा), सड़क परिवहन एवं राजमार्ग

मंत्रालय

 

सड़क परिवहन, भारत में परिवहन का प्रमुख साधन है और यात्री एवं माल यातायात के संदर्भ में
इसका निरंतर विस्तार हो रहा है। सड़क नेटवर्क और वाहन बेड़े के तेजी से विस्तार और
परिणामस्वरूप गति में हुई वृद्धि के कारण, हर साल लगभग 4.5 लाख दुर्घटनाएँ और 1.5
लाख मौतें होती हैं, जिससे अनुमान है कि सकल घरेलू उत्पाद के 3% का आर्थिक नुकसान
होता है। दुर्घटना के आंकड़ों से पता चलता है कि 68% मौतें में सड़क उपयोगकर्ताओं का
कमज़ोर समूह, जैसे दोपहिया वाहन, पैदल यात्री और साइकिल चालक शामिल होता है। सड़क
दुर्घटना के मुख्य कारण हैं - तेज़ गति से वाहन चलाना, ड्राइवरों का ध्यान भटकना, मोबाइल
का उपयोग और लाल बत्ती का उल्लंघन करना आदि। आधी से ज़्यादा मौतें देश की 35 वर्ष से
कम आयु की युवा आबादी की होती हैं। प्रतिकूल सामाजिक प्रभावों को रोकने और सतत आर्थिक
विकास सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित सड़क परिवहन में सुधार करना अनिवार्य है। माननीय
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में और माननीय मंत्री (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग) के कुशल मार्गदर्शन में
सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। मंत्रालय इस दशक के अंत तक प्रभावी
परिणाम प्राप्त करने के क्रम में 4ई (अर्थात इंजीनियरिंग, कार्यान्वयन, जागरूकता और
आपातकालीन देखभाल) को स्थायी तौर पर मजबूत करने के लिए एक व्यापक योजना की
अवधारणा तैयार कर रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 6.3 मिलियन किलोमीटर के कुल सड़क नेटवर्क का 2.3% है, लेकिन
कुल सड़क यातायात में इसकी हिस्सेदारी 40% है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले यातायात
की औसत गति अधिक होती है और भारी वाणिज्यिक वाहनों का प्रतिशत भी अधिक होता है,
जिसके परिणामस्वरूप लगभग एक तिहाई मौतें और दुर्घटनाएँ राष्ट्रीय राजमार्गों पर होती हैं।
मंत्रालय ने परियोजना कार्यान्वयन के सभी चरणों में सड़क सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य कर दिया
है, ताकि किसी भी नई परियोजना में इंजीनियरिंग दोष न होना सुनिश्चित किया जा सके।
मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर सभी ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना संभावित क्षेत्र) को खत्म करने के
लिए पूरे भारत में अभियान शुरू किया है। पहचान किये गए कुल 13795 ब्लैक स्पॉट में से
9525 ब्लैक स्पॉट पर गति नियंत्रण उपाय, फुटपाथ चिह्न, सड़क संकेत, सोलर स्टड, पैदल
यात्री क्रॉसिंग, रंबल स्ट्रिप्स (पट्टियों से वाहनों के गुजरने पर गड़गड़ाहट की आवाज होती है)
इत्यादि जैसे अल्पकालिक उपाय पूरे किए जा चुके हैं और शेष स्पॉट को मार्च, 2025 तक पूरा
करने का लक्ष्य रखा गया है। विश्लेषण से पता चला है कि अल्पकालिक उपाय 85% ब्लैक
स्पॉट्स में प्रभावी रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप मृत्यु और गंभीर चोटों वाली दुर्घटनाओं में
कमी आई है। 4593 ब्लैक स्पॉट्स पर दीर्घकालीन उपाय, जैसे रेलिंग के साथ फुटपाथ का
प्रावधान, जंक्शन सुधार, फ्लाईओवर, सड़क चौड़ीकरण, ज्यामितीय सुधार, फुट ओवर ब्रिज
इत्यादि पूरे किए जा चुके हैं और शेष, जहाँ आवश्यक है, को 2026-27 तक पूरा करने का लक्ष्य
है। पिछले 2 वर्षों में, जिन 5 किलोमीटर या उससे अधिक लंबाई के एनएच खंडों में कोई मौत
नहीं हुई है, वे व्यापक नमूने के अध्ययन के आधार पर एनएच नेटवर्क का लगभग 14.5%
हिस्सा हैं। उक्त एनएच खंडों को सफेद गलियारों के रूप में प्रस्तावित किया गया है और क्षेत्रीय
अधिकारियों को इन गलियारों की सुरक्षा करने और उन्हें अच्छी स्थिति में बनाए रखने के लिए
जागरूक किया गया है। निर्माण क्षेत्र सुरक्षा उपायों को पूरी गंभीरता से लागू किया जा रहा है।

मंत्रालय ने ई-डीएआर (इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट) की शुरुआत की है, जो दुर्घटना डेटा
की रिपोर्ट, प्रबंधन और विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय डेटा भंडार है। दुर्घटना स्थलों की तुरंत
पहचान की जाती है और संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा इंजीनियरिंग दोष का आकलन
करने के लिए उनका दौरा किया जाता है। यदि आवश्यक हो, तो स्थल पर आवश्यकता के

अनुसार समाधान के उपाय लागू किए जाते हैं। जून, 2024 तक इंजीनियरिंग हस्तक्षेप की
आवश्यकता वाले 6014 दुर्घटना स्थलों में से लगभग 5446 दुर्घटना स्थलों पर इंजीनियरिंग दोष
का उपयुक्त निवारण किया गया है।

नई कारों और एसयूवी के सुरक्षा मूल्यांकन के लिए स्टार रेटिंग प्रणाली शुरू की गयी है -
भारत नयी कार मूल्यांकन योजना (बीएनसीएपी), जो वैश्विक मानकों के अनुरूप है। माननीय
प्रधानमंत्री ने 13 अगस्त, 2021 को अनुपयुक्त और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध
तरीके से हटाने के लिए वाहन स्क्रैपिंग नीति की शुरुआत की थी। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के
लिए पूरे देश में स्वचालित परीक्षण स्टेशनों (एटीएस) और पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र
(आरवीएसएफ) का एक इकोसिस्टम स्थापित किया जा रहा है।

सड़क वर्गीकरण को ध्यान में रखे बिना, सड़कों पर कानून और व्यवस्था तथा विनियमन का
कार्यान्वयन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। मंत्रालय ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए
सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और कार्यान्वयन के लिए नियम अधिसूचित किए हैं तथा
स्पीड कैमरा, सीसीटीवी, स्पीड गन, डैश कैम, बॉडी वियरेबल कैमरा जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
उपलब्ध कराये हैं। बच्चों के लिए सुरक्षा कवच/क्रैश हेलमेट अनिवार्य करने के लिए अधिसूचना
जारी की गई है। मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम में यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए
आर्थिक दंड में भी वृद्धि की गयी है।

सड़क सुरक्षा पर लोगों को प्रशिक्षण और जागरूक बनाना समय की मांग है, ताकि वाहन चलाते
समय या सड़क का उपयोग करते समय मानवीय त्रुटियों को कम किया जा सके। मंत्रालय ने
बच्चों में सड़क सुरक्षा के बारे में अच्छी प्रथाओं को विकसित करने के लिए कार्यक्रमों का एक
सेट तैयार किया है और शिक्षा मंत्रालय से स्कूली शिक्षा, 2023 की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा
(एनसीएफ) में इसे शामिल करने का अनुरोध किया है। मंत्रालय ने राज्य और जिला स्तर पर
अत्याधुनिक क्षेत्रीय वाहन-परिचालन केंद्र (आरडीटीसी), वाहन-परिचालन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित
करने की योजना भी लागू की है।

एक अनुमान के अनुसार, यदि पीड़ितों को गोल्डन ऑवर (दुर्घटना के बाद के 2 घंटे) के दौरान
उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, तो काफी संख्या में होने वाली मौतों को टाला
जा सकता है। मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और वित्तीय सेवा विभाग के सहयोग से
सड़क दुर्घटना पीड़ितों को अधिकतम 7 दिनों की अवधि में 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस
उपचार प्रदान करने के लिए "मोटर वाहनों के कारण सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए
कैशलेस उपचार योजना" को अंतिम रूप दिया है और इसे मंजूरी दी है। इस योजना को जल्द ही
अखिल भारतीय स्तर पर लॉन्च किया जाएगा। यह योजना अस्पतालों को समयबद्ध तरीके से
सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य करती
है।

विभिन्न विश्लेषणों से यह स्पष्ट होता है कि चुना गया मार्ग और अपनाई गई कार्ययोजना सही
दिशा में है तथा सकारात्मक और उत्साहवर्धक है। हालाँकि, मृत्यु दर में 50% कमी लाने के
लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इस लक्ष्य के लिए
मंत्रालय प्रतिबद्ध है और राज्य सरकारों के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है। सभी
संबंधित सरकारी विभागों, गैर सरकारी संगठनों और सड़क उपयोगकर्ताओं को सड़क दुर्घटनाओं
और उनकी गंभीरता को रोकने और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से
प्रयास करना होगा।