जीएसटी की नई दरें किसानों के लिए वरदान साबित होंगी : शिवराज
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की प्रेस वार्ता
सतत शिक्षा अध्ययनशाला एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में चल रहे आकाशवाणी उज्जैन केंद्र के लिए चयनित 68 उद्घोषक/कम्पीयर्स का 7 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजित हुआ समापन समारोह
उज्जैन, 1 सितम्बर । आकाशवाणी उज्जैन केंद्र से जुड़ना मात्र रोजगार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है, क्योंकि रेडियो पर उद्घोषक का चेहरा नहीं, उसकी आवाज़ ही उसकी पहचान होती है। उसी आवाज़ से श्रोता खुशी, दुख, करुणा और भावनाओं का अनुभव करते हैं। यही कारण है कि रेडियो अब भी प्रासंगिक है और लोगों की संवेदनाओं को जोड़ता है।आकाशवाणी उज्जैन विश्व पटल पर सुना जाएगा ,यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उज्जैन की आवाज़ अब विश्व पटल पर गूँजेगी।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेश सिंह कुशवाह ने मुख्य अतिथि के रूप में सतत शिक्षा अध्ययनशाला एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में प्रसार भारती द्वारा आकाशवाणी उज्जैन केंद्र के लिए चयनित 68 उद्घोषक/कम्पीयर्स का 7 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर शलाका दीर्घा में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए।समारोह की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने की।, विशिष्ट अतिथि विद्या भारती मालवा प्रांत के प्रांतीय अध्यक्ष प्रकाशचंद्र धनगढ़, आकाशवाणी भोपाल मध्यप्रदेश के कार्यक्रम प्रमुख श्री राजेश भट्ट,सतत् शिक्षा अध्ययनशाला के प्रभारी संचालक डॉ. सुशील कुमार शर्मा थे ।आकाशवाणी उज्जैन की कार्यक्रम प्रमुख सुश्री अनामिका चक्रवर्ती, प्रशिक्षक आकाशवाणी भोपाल से वरिष्ठ उद्घोषक पुरुषोत्तम श्रीवास, आकाशवाणी इंदौर से संजीव मालवीय तथा आकाशवाणी उज्जैन के प्रसारण अधिकारी सौरभ अवस्थी आदि उपस्थित रहें।
मुख्य अतिथि श्रीं कुशवाह ने अपने संबोधन में कहा कि उज्जैन में आकाशवाणी केंद्र का प्रारंभ होना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। जहाँ देशभर में आकाशवाणी के कई केंद्र सीमित हो रहे हैं, वहीं उज्जैन में नया केंद्र खुलना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदृष्टि और संकल्प का परिणाम है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार प्रकट किया और कहा कि यह उपलब्धि उज्जैन को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगी।
कुशवाह ने माँ भारती के चरणों में नमन करते हुए कहा कि उज्जैन के हरेक नागरिक,विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण और आकाशवाणी परिवार से जुड़े अधिकारीगण और यह हम सबके लिए गौरव का क्षण है।
श्रीं कुशवाह ने अपने उद्बोधन में आकाशवाणी के चयन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया के बारे में बताया कि चयन के समय केवल आवाज को ही परखा गया, चेहरा या पहचान नहीं देखी गई। अधिकांश प्रतिभागियों ने स्क्रिप्ट पढ़ने में कठिनाई का सामना किया, लेकिन जिनकी आवाज़ में प्रभाव था, उन्हें बिना किसी भेदभाव के चुना गया।
उन्होंने प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षको संजीव मालवीय, राजेश भट्ट, अनामिका चक्रवर्ती और पुरुषोत्तम श्रीवास जैसे आकाशवाणी अधिकारियों के बहुआयामी कौशल की सराहना की और कहा कि ये न केवल उद्घोषक और कार्यक्रम प्रमुख हैं, बल्कि संगीत, प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर, ध्वनि और प्रकाश जैसे क्षेत्रों में भी निपुण हैं।
कुशवाह ने यह भी कहा कि प्रशिक्षण मात्र 10 दिनों में पूरा करना आसान नहीं था, जबकि सामान्यतः इसमें दो माह का समय लगता है। लेकिन प्रतिभागियों ने अनुशासन और लगन से इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों को आत्मसंतुष्ट होकर नहीं रुकना चाहिए, बल्कि लगातार अभ्यास और आत्मविकास से आगे बढ़ना चाहिए।
आकाशवाणी उज्जैन विश्व पटल पर सुना जाएगा इसी का उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर जब उन्होंने जब आकाशवाणी उज्जैन की चयन की जानकारी साझा की, तो विदेशों से भी उनके मित्रों की शुभकामनाएँ आईं। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उज्जैन की आवाज़ अब विश्व पटल पर गूँजेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों की आवाज़ और प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि आने वाले समय में आपकी पहचान आपकी वाणी और स्वर से होगी। उन्होंने तुलसीदास का उद्धरण देते हुए कहा वाणी ही घाव भी करती है और यही मरहम का भी काम करती है।
प्रो. भारद्वाज ने कहा कि माइक्रोफोन के सामने शब्दों के प्रभाव पर गहनता से विचार करना चाहिए, क्योंकि आवाज़ के माध्यम से ही श्रोताओं तक भाव पहुँचते हैं। उन्होंने उच्चारण की बारीकियों पर चर्चा करते हुए समझाया कि किस प्रकार जीभ, होठ, तालु और नासिका ध्वनि-निर्माण में योगदान करते हैं।
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि रेडियो आज भी जनसंचार का सबसे सशक्त और व्यापक माध्यम है, जिसने प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ जैसे कार्यक्रमों के जरिए करोड़ों श्रोताओं तक पहुंचने का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने बचपन की रेडियो से जुड़ी यादें साझा करते हुए कहा कि जहाँ पहले रेडियो एक बड़े बक्से जैसा हुआ करता था, वहीं आज यह जेब में समा गया है।
समारोह में आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख राजेश भट्ट ने कहा कि यह उज्जैन के लिए बड़ी उपलब्धि है। जहाँ एक ओर देशभर में आकाशवाणी के कई केंद्र सिमट रहे हैं, वहीं उज्जैन में नया केंद्र स्थापित होना किसी आश्चर्य से कम नहीं। यह सब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से संभव हो पाया है। उन्होंने जानकारी दी कि नए स्टूडियो के लिए मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृति पत्र सौंपा जा चुका है और बहुत जल्द आकाशवाणी उज्जैन की प्रसारण सेवाएँ प्रारंभ हो जाएंगी।
उन्होंने बताया कि जल्द ही आकाशवाणी उज्जैन को ‘न्यूज़ ऑन एयर’ एप के माध्यम से पूरी दुनिया में सुना जा सकेगा।श्री भट्ट ने प्रशिक्षण प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए कहा कि सामान्यतः यह प्रशिक्षण दो माह के अंतराल में पूरा होता है, लेकिन मात्र 10 दिनों में इसे संपन्न करना एक बड़ी चुनौती थी। नए प्रशिक्षणार्थियों को रेडियो की बारीकियों और तकनीकी कार्यप्रणाली से परिचित कराना कठिन था, लेकिन सभी ने इसे पूरी निष्ठा और उत्साह से पूरा किया। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को पुनः बधाई और शुभकामनाएँ दीं।
विद्या भारती मालवा प्रांत के प्रांतीय प्रमुख प्रकाशचंद्र धनगढ़ ने कहा कि उद्घोषकों की मेहनत और प्रशिक्षण की गुणवत्ता ऐसी है कि उन्हें सुनकर लगा मानो घर पर बैठकर आकाशवाणी का प्रसारण सुन रहे हों। उन्होंने आकाशवाणी की तुलना महाभारत काल की दिव्य आकाशवाणी से की और कहा कि जैसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय केवल आवाज़ सुनाई दी थी, वैसे ही उद्घोषकों की पहचान भी उनकी आवाज़ से होगी।उन्होंने तकनीकी युग में भी रेडियो सुनने के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि गाड़ी चलाते समय रेडियो ज्ञान और मनोरंजन दोनों प्रदान करता है।
आकाशवाणी उज्जैन की कार्यक्रम प्रमुख सुश्री अनामिका चक्रवर्ती ने अपने संबोधन में कहा कि महाकाल की नगरी में उन्हें यह दायित्व मिलना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज, कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह और सतत शिक्षा अध्ययनशाला के प्रभारी संचालक डॉ. सुशील कुमार शर्मा सहित सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
सुश्री अनामिका ने चयनित उद्घोषकों को बधाई देते हुए कहा कि यह स्टेशन केवल एक प्रसारण केंद्र नहीं है, बल्कि एक परिवार है। सबको मिलकर आकाशवाणी उज्जैन को नई ऊँचाइयों तक ले जाना है। उन्होंने अपने उद्बोधन का समापन इन पंक्तियों से किया उद्देश्य नहीं प्रांत भवन तक टिक रहना, बल्कि पहुँचना उस सीमा तक जिसके आगे कोई राह नहीं।
आकाशवाणी इंदौर से आए प्रशिक्षक संजीव मालवीय ने अपने शहर उज्जैन में वापस आकर काम करने को सौभाग्य बताया। उन्होंने स्मरण किया कि लगभग 20 वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें एक बड़ी भीड़ से चयनित किया था और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का अवसर दिया था। उन्होंने चयनित उद्घोषकों की तत्परता और सीखने की क्षमता की सराहना की और आशा व्यक्त की कि उनकी आवाज़ें उज्जैन केंद्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएंगी।
आकाशवाणी भोपाल से आए प्रशिक्षक पुरुषोत्तम श्रीवास ने कहा कि उज्जैन जैसी पवित्र भूमि पर आकर हर व्यक्ति खुद को पवित्र महसूस करता है। उन्होंने छह दिन के प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों के सीखने की गति और आत्मविश्वास की प्रशंसा की और कहा कि कम समय में ही उन्होंने मंच संचालन का कार्य बखूबी निभाया है।
समापन अवसर पर आकाशवाणी उज्जैन से सर्वश्री सौरभ अवस्थी, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. राजेश वर्मा, दिनेश दिग्गज सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। समारोह में ग्रामसभा से विनीत पाल, महिलासभा से श्वेता काबरा , युववानी से कल्याणी सुगंधी एवं उद्घोषक से गोपाल गर्वित के द्वारा अपना प्रशिक्षण का अनुभव साझा किया। समारोह के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा मां वाग्देवी के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पण कर समारोह का शुभारंभ किया । कार्यक्रम का संचालन रश्मि बजाज द्वारा किया गया।
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की प्रेस वार्ता
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दो दिवसीय इस आयोजन में देशभर से 100 से अधिक प्रतिभागी और 20 ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ शामिल हुए, जो पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी प्रशिक्षण को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।