जीएसटी की नई दरें किसानों के लिए वरदान साबित होंगी : शिवराज
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की प्रेस वार्ता
एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत विश्व प्रसिद्ध भोजपुर मंदिर प्रांगण में पौधारोपण किया गया। कार्यक्रम में पीआईबी, भोपाल एवं सीबीसी, भोपाल और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पौधे लगाए।
भोपाल/ पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) एवं केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत विश्व प्रसिद्ध भोजपुर मंदिर प्रांगण में पौधारोपण किया गया। कार्यक्रम में पीआईबी, भोपाल एवं सीबीसी, भोपाल और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पौधे लगाए। इस अवसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निदेशक डॉ. मनोज कुर्मी भी उपस्थित थे। उन्होंने भी 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के अंतर्गत पौधारोपण किया.
। इसके पश्चात् डॉ. मनोज कुर्मी ने कहा कि 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत पौधा लगाकर मैं बहुत प्रसन्न हूं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और धरती को हरा-भरा रखने में यह अभियान मील का पत्थर साबित होगा। डॉ. मनोज कुर्मी ने कहा कि मेरा मानना है कि सभी देशवासियों को इस अभियान से जुड़ना चाहिए और अपनी मां और धरती मां के सम्मान एक एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमें पौधे लगाने के साथ इन पौधों की देखरेख भी समुचित तरीके से करना चाहिए ताकि वे बड़े होकर पर्यावरण को लाभ पहुंचा सकें।
अभियान के तहत सीबीसी भोपाल के क्षेत्रीय प्रदर्शनी अधिकारी श्री समीर वर्मा, पीआईबी, भोपाल के प्रशासनिक अधिकारी श्री रमेश चन्द्र सामल, श्री पंकज, श्री दीपक गिरी और सुश्री अंकिता पटेल ने भी पौधारोपण किया। इस अवसर पर सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पेड़ पौधे के संरक्षण की शपथ भी दिलाई गई। इस अवसर पर 40 से अधिक पौधे लगाए गए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस 2024 पर पर्यावरण संरक्षण के लिए “एक पेड़ मां के नाम” अभियान की शुरुआत की थी और प्रत्येक नागरिक से इस अभियान का हिस्सा बनने का आह्वान किया था।
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की प्रेस वार्ता
यह गेरुआ लंबोदर गणेश प्रतिमा अपनी ऊँचाई और भव्यता से दर्शकों को आकर्षित कर रही है। प्रतिमा की सूक्ष्म नक्काशी, मुकुट पर जड़ी मणियाँ, आभूषणों की सज्जा और अलंकरण की सजीवता इसे अनुपम बनाती है। इस मूर्ति को विशेष तकनीक से पकाया गया है जिससे यह अधिक सुदृढ़ और टिकाऊ बनी रहे।
दो दिवसीय इस आयोजन में देशभर से 100 से अधिक प्रतिभागी और 20 ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ शामिल हुए, जो पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी प्रशिक्षण को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।