मुंबई में ब्रिज का नामकरण , रखा 'सिंदूर ब्रिज' नाम
अगस्त 2022 में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते 150 साल पुराने कार्नैक ब्रिज को ध्वस्त किए जाने के बाद इसे बनाया गया है। यह ब्रिज प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल 328 मीटर लंबा है।
भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के सामने दुनिया नतमस्तक.ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में खलबली मची.ऑपरेशन सिंदूर को जॉन स्पेंसर ने बड़ी जीत बताया.,भारत ने 9 आतंकी ठिकाने नष्ट किए.
भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है. पीएम मोदी ने इसकी पुष्टि की है. मॉडर्न वार इंस्टीट्यूट के स्पेंसर ने इसे निर्णायक जीत बताया है. ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में अब तक खलबली है. बचे-खुचे आतंकी छिपे फिर रहे हैं. कारण कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुुआ है. खुद पीएम मोदी इसे कन्फर्म कर चुके हैं. भारत ने कैसे ऑपरेशन सिंदूर से आतंकियों के ठिकाने तबाह किए, कैसे पाकिस्तान को धूल चटाई, यह दुनिया देख चुकी है. अब भारत के ऑपरेशन सिंदूर की खूब तारीफ हो रही है. अर्बन वारफेयर इंस्टीट्यूट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जॉन स्पेंसर ने ऑपरेशन सिंदूर को मॉर्डन वारफेयर में निर्णायक जीत बताया है. उनके मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर का मकसद पूरा हो चुका है और भारत ने एक बड़ी जीत हासिल की है.
दरअसल, मॉर्डन वारफेयर यानी आधुनिक युद्ध पर दुनिया के सबसे बड़े जानकारों में से एक जॉन स्पेन्सर ने भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर अपनी राय रखी है. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की बड़ी जीत बताया है. जॉन स्पेन्सर ने एक्स पर लिखा, ‘चार दिन की सटीक मिलिट्री एक्शन के बाद यह बात बिल्कुल साफ है कि भारत ने एक बड़ी जीत हासिल की है. ऑपरेशन सिंदूर ने अपने रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा किया और उससे भी आगे गया. इसमें आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना और सैन्य श्रेष्ठता का प्रदर्शन शामिल है. ये कोई दिखावटी ताकत नहीं थी. यह निर्णायक शक्ति थी, जिसे स्पष्ट रूप से लागू किया गया था.’
उन्होंने अपने पोस्ट में पहलगाम अटैक से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर तक की घटना का जिक्र किया है. 22 अप्रैल के पहलगाम अटैक के बाद भारत ने इंतजार नहीं किया. न तो भारत ने इंटरनेशनल मीडिएशन की अपील की और न ही राजनयिक डिमार्चे जारी किया. भारत ने सीधे फाइटर जेट्स को लॉन्च कर दिया. 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को धुआं-धुआं कर दिया. पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकाने नेस्तनाबूद हो गए. अब भारत ने साफ क दिया है कि भारत के ऊपर किसी भी आतंकी हमले को एक्ट ऑफ वार माना जाएगा.
डिफेंस और वारफेयर एक्सपर्ट जॉन स्पेन्सर ने बताया है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर को जानबूझकर कई चरणों में अंजाम दिया गया.
# 7 मई: पाकिस्तान में घुसकर नौ आतंकी ठिकाने नष्ट किए गए. बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद और दूसरी जगहों पर आतंकी ट्रेनिंग कैंप और उनके साजो-सामान के ठिकानों को निशाना बनाया गया.
#8 मई: ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत में बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले किए. भारत ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को एक्टिव किया और पाक के सभी ड्रोन अटैक को नाकाम कर दिया.
#9 मई: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमले तेज कर दिए. भारत ने पाकिस्तान में मिसाइल से हमला किया और उसके 11 एयरबेस को उड़ा दिया.
#10 मई: भारत और पाक के बीच अस्थायी सहमति बनी. भारत ने इसे सीजफायर नहीं कहा. भारतीय सेना ने इसे ‘गोलीबारी रोकना’ कहा. यह एक सोची-समझी रणनीति थी, जिससे यह दिखाया गया कि स्थिति पर भारत का नियंत्रण है.
भारत के क्या-क्या उद्देश्य पूरे हुए?
स्पेंसर के मुताबिक, यह सिर्फ रणनीतिक जीत नहीं थी. यह वास्तविक लड़ाई के दौरान अपने सिद्धांतों पर अमल था. जॉन स्पेंसर के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर केवल विजय या प्रतिशोध का युद्ध नहीं था बल्कि स्पष्ट मकसदों के साथ एक सीमित अभियान था. उन्होंने बताया है कि ऑपरेशन सिंदूर से क्या-क्या मकसद पूरे हुए.
#नई लक्ष्मण रेखा खींची गई और उसका पालन भी करवाया
#अब पाकिस्तान की जमीन से होने वाले आतंकी हमलों का जवाब सैन्य बल से दिया जाएगा. ये कोई धमकी नहीं है. ये एक मिसाल है.
#सैन्य श्रेष्ठता का प्रदर्शन
#भारत ने दिखा दिया कि वो पाकिस्तान में किसी भी ठिकाने पर वार करने में सक्षम है, फिर चाहे वो आतंकी ठिकाने हों, ड्रोन के लॉन्च पैड हों या फिर उसके एयरबेस. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान भारत के अंदर एक भी सुरक्षित इलाके में सेंध नहीं लगा पाया. ये बराबरी नहीं है. ये तो पूरी तरह से भारत और उसकी सेना की श्रेष्ठता है.
#भारत ने ताकत दिखाई पर युद्ध से बचा
#पाकिस्तान और उसके आंतकियों के खिलाफ भारत ने पूरी ताकत से जवाबी कार्रवाई की लेकिन पूर्ण युद्ध से बचा रहा. नियंत्रित तरीके से बढ़ाए गए इस तनाव ने पाकिस्तान और दुश्मनों को स्पष्ट संदेश दिया है: भारत जवाब देगा, और वो अपनी गति से और तरीके से.
#रणनीतिक आजादी
#भारत ने इस संकट से इंटरनेशनल मध्यस्थता के बिना ही निपटा. उसने संप्रभु शर्तों पर और संप्रभु साधनों का उपयोग करते हुए सिद्धांतों को लागू किया.
अगस्त 2022 में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते 150 साल पुराने कार्नैक ब्रिज को ध्वस्त किए जाने के बाद इसे बनाया गया है। यह ब्रिज प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल 328 मीटर लंबा है।
कांग्रेस से संबद्ध पांच प्रधानमंत्रियों ने करीब सात दशक में कुल 17 बार विदेशी संसद को संबोधित किया था। अधिकारियों ने बताया कि पीएम मोदी ने इस आंकड़े की बराबरी कर ली है।
आपको याद होगा कुछ समय पहले इजरायल में संकट हुआ था तो भारत ने अपने लोगों को वहां काम करने के लिए भेजा था. अब एक और दोस्त देश भारतीयों को बुला रहा है. वहां के लोग या तो यूक्रेन से जंग लड़ रहे हैं या फिर ऐसे काम करना नहीं चाहते हैं. इसी साल अगर आप रूस जाकर काम करने की इच्छा रखते हैं तो ऐसे 10 लाख लोगों की भर्ती होने वाली है.