• 29 Jun, 2025

अरुण गोयल ने क्यों दिया इस्तीफा? जानिए अंदर की बात

अरुण गोयल ने क्यों दिया इस्तीफा? जानिए अंदर की बात

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस्तीफा भेजने से एक दिन पहले तक, निर्वाचन सदन में सब कुछ सामान्‍य था. फिर गोयल ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया?

भारत के चुनाव आयोग में एक इस्तीफ़े ने हलचल मचा दी है.चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और इसी के साथ चुनाव आयोग में इस समय सिर्फ़ मुख्य चुनाव आयुक्त ही बचे हैं.चुनाव आयोग में दो चुनाव आयुक्त और एक मुख्य चुनाव आयुक्त होते हैं. एक चुनाव आयुक्त का पद पहले से ख़ाली था तो अब अरुण गोयल के जाने से सिर्फ़ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं.
देश में लोकसभा चुनाव की तारीख़ों के एलान से पहले चुनाव आयुक्त के इस तरह इस्तीफ़ा देने को अख़बारों ने प्रमुखता से छापा है.. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोयल और मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त (CEC) राजीव कुमार के बीच पिछले कुछ दिनों से तनातनी थी. इकॉनमिक टाइम्‍स ने लिखा है कि 15 फरवरी को अनूप पांडेय के रिटायरमेंट के बाद बात बिगड़ती चली गई. ET की रिपोर्ट के मुताबिक, गोयल और कुमार के बीच की असहमतियां 'मौखिक' थीं. राज्यों में भेजी जा रही चुनाव आयोग की टीमों के कम्पोजीशन से लेकर प्रेस ब्रीफिंग्‍स के फॉर्मेट पर दोनों चुनाव अधिकारियों की राय जुदा थी. सूत्रों के हवाले से ET लिखता है कि ये असहमतियां ऐसी नहीं थीं कि गोयल को लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले इस्तीफा देना पड़े. 
गोयल के इस्‍तीफे के एक दिन पहले, 7 मार्च तक निर्वाचन सदन का माहौल सामान्‍य था. उस दिन गोयल ने मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त (CEC) राजीव कुमार के साथ विदेशी मीडिया से बात की थी. उससे पहले, 4 और 5 मार्च को कुमार और गोयल पश्चिम बंगाल में थे. टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि गोयल ने बंगाल दौरे की शुरुआत में ही बेचैनी की शिकायत की थी. इसके बावजूद वह 4 मार्च की बैठक में शामिल हुए जो रात करीब 8 बजे तक चली.
अगली सुबह, कोलकाता के ओबेरॉय ग्रैंड होटल में ठहरे गोयल के लिए एक डॉक्टर बुलाया गया. दवाएं दी गईं लेकिन गोयल 5 मार्च की दोपहर को EC की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आए. पीसी के बाद गोयल, CEC और चुनाव आयोग के अन्य अधिकारी एक ही फ्लाइट से दिल्‍ली वापस लौटे.
6 मार्च को गोयल अपने ऑफिस, निर्वाचन सदन पहुंचे लेकिन उस दिन कोई बड़ी बैठक नहीं होनी थी. अगले दिन, 7 मार्च को गोयल ने CEC कुमार के साथ विदेशी मीडिया से बात की. यह बातचीत ऑफ-कैमरा हुई थी.
8 मार्च को, चुनाव आयोग की गृह सचिव अजय भल्ला के साथ बैठक थी. इसमें चुनाव के लिए सुरक्षा बलों के इंतजाम पर चर्चा होनी थी. गोयल 8 मार्च को ऑफिस नहीं गए. उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भिजवा दिया. CEC को इस्तीफे की कॉपी नहीं भेजी गई, न ही उन्हें इस बारे में जानकारी दी गई. राष्ट्रपति ने 9 मार्च को गोयल का इस्तीफा मंजूर कर लिया.
सुप्रीम कोर्ट तक गया था नियुक्ति का मामला
गोयल नवंबर 2022 से चुनाव आयुक्‍त के पद पर थे. 1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी की EC में नियुक्ति भी ड्रामे भरी थी. गोयल ने नवंबर 2022 में सचिव पद से वॉलंटरी रिटायरमेंट लिया था. कुछ दिन के भीतर ही चुनाव आयुक्त के रूप में ज्वाइन कर लिया. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था और केंद्र को गोयल की नियुक्ति के लिए फटकार पड़ी थी.
चुनाव आयोग का हालिया घटनाक्रम पांच साल पहले की याद दिलाता है. 2019 आम चुनाव से पहले, तत्कालीन CEC सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के बीच अनबन की खबरें थीं.
दिल्ली में ब्यूरोक्रेट्स के बीच गोयल की छवि एक "तेज़-तर्रार और नियमों के अनुसार, चलने वाले अधिकारी" की है.
एक्स पर सरकार में एक रिटायर्ड सचिव और गोयल के बैचमेट संजीव गुप्ता ने लिखा, “साल 2022 में जितनी तेज़ी से अरुण गोयल को चुनाव आयोग में लाया गया और जिस तेज़ी के साथ उन्हें निकाला गया उससे गंभीकर सवाल उठते हैं. हम सभी बैचमेट भी हैरान हैं और उनकी (अरुण गोयल) की ओर से हमें कोई जवाब नहीं मिल रहा.”