श्रीमद् भागवत गीता हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाती है हम अपने जीवन में कैसे कठिनाइयों से लड़ते हुए अपना जीवन यापन करें
हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रन्थ भगवद गीता में यह बताया गया है की मनुष्य अपने जीवन को किस तरह बेहतर ढंग से जी सकता है और अपने हर परेशानियों पर विजय पा सकता है।
भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान करुक्षेत्र में अर्जुन को भगवद गीता का ज्ञान दिया था. भगवद गीता में 18 अध्याय और लगभग 700 श्लोक है जिनमे में जीवन के हर समस्या का समाधान करने का उपाय है।
भगवत गीता के ये श्लोक सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी लोगो के मार्गदर्शक है तथा भगवद गीता एक नई दिशा प्रदान करने वाला ग्रन्थ है।
आइये जानते है भगवत गीता के सार जो निश्चित ही आपमें एक नई ऊर्जा भर देंगे !
1 . मन की लगाम सदैव अपने हाथो में रखो :-
यदि मनुष्य अपने मन को काबू पर रखे तो वह दुनिया में किसी भी असम्भव कार्य को सम्भव में परिवर्तित कर सकता है। जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
2 . अपने विश्वास को अटल बनाओ :-
कोई भी मनुष्य अपने विश्वास से निर्मत होता है तथा जैसा वह विश्वास करता है वैसा बन जाता है।
3 . क्रोध मनुष्य का दुश्मन है :-
क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है और जब बुद्धि के व्यग्र नष्ट होने से बुद्धि की तर्क शक्ति समाप्त हो जाती है तो मनुष्य के पतन की शुरुवात होने लगती है।
4 . संदेह करना त्याग दो :-
संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न तो इस लोक में है और नहीं परलोक में।
5 . उठो और मजिल की तरफ बढ़ो :-
आत्म-ज्ञान रूपी तलवा र उठाओ तथा इसके माध्यम से अपने ह्रदय के अज्ञान रूपी संदेह को काटकर अलग कर दो, अनुशाषित रहो, उठो।
6 . इन तीन चीज़ो से सदैव दूर रहो :-
भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को संदेश देते हुए वासना, क्रोध और लालच को नर्क के तीन मुख्य द्वारा बतलाया है।
7 . हर एक पल कुछ सिखाता है :-
मनुष्य को उसके जिंदगी में घटित हो रहे हर एक छोटी – बड़ी चीज़ कुछ न कुछ सिख देकर जाती है. भगवद गीता में कहा गया ही की इस जीवन में न कुछ खोता है और न ही कुछ व्यर्थ होता है।
8 . अभ्यास आपको सफलता दिलाएगा :-
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन, लेकिन अभ्यास के द्वारा उसे भी वश में किया जा सकता है
9 . सम्मान के साथ जियो :-
लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे परन्तु उनको अपने पर हावी मत होने दो. एक सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृ त्यु से भी बदतर है।
10 . खुद पर विश्वास रखो :-
मनुष्य जो चाहे वह बन सकता है, विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।