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मोदी सरकार में 4 यादव मंत्री मोदी सरकार में अभी भी चार बड़े यादव चेहरे हैं, लेकिन उनमें से एक के ही नाम में 'यादव' लगा हुआ है। जबकि, बिहार-यूपी की राजनीति में इस नाम का 'रुतबा' ही अलग है। अभी केंद्रीय मंत्रियों में जो यादव नेता शामिल हैं, उनमें भूपेंद्र यादव, राव इंद्रजीत सिंह, नित्यानंद राय, अन्नपूर्णा देवी हैं।
भोपाल .
बीजेपी ने जैसे ही मध्य प्रदेश में मोहन यादव के नाम की घोषणा की, साफ हो गया कि पार्टी ने हिंदी भाषी राज्यों में सबसे बड़ी ओबीसी जाति 'यादव' में अपना जनाधार बढ़ाने का दांव चल दिया है। मोहन यादव ऐसे 'यादव' चेहरे बन गए हैं, जिसे पार्टी अब अपने सबसे बड़े 'यादव' नेता के रूप में पेश कर सकती है। क्योंकि, पार्टी में पहले से भी कई कद्दावर यादव नेता हैं, लेकिन एक बड़े हिंदी भाषी प्रांत के मुख्यमंत्री के तौर पर यह नाम वोट बैंक पॉलिटिक्स के हिसाब से पार्टी के ज्यादा काम आ सकता है। मोदी सरकार में 4 यादव मंत्री मोदी सरकार में अभी भी चार बड़े यादव चेहरे हैं, लेकिन उनमें से एक के ही नाम में 'यादव' लगा हुआ है। जबकि, बिहार-यूपी की राजनीति में इस नाम का 'रुतबा' ही अलग है। अभी केंद्रीय मंत्रियों में जो यादव नेता शामिल हैं, उनमें भूपेंद्र यादव, राव इंद्रजीत सिंह, नित्यानंद राय, अन्नपूर्णा देवी हैं।
यादव बिरादरी के ये सारे नेता अलग-अलग राज्यों के हैं। भूपेंद्र यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं, राव इंद्रजीत हरियाणा, नित्यानंद राय बिहार और अन्नपूर्णा देवी झारखंड से लोकसभा सांसद हैं। भाजपा के अन्य बड़े यादव चेहरे इनके अलावा पार्टी संगठन की सर्वोच्च इकाई पार्लियामेंटरी बोर्ड में सुधा यादव जैसी नेता भी हैं और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्षता भी हंसराज गंगाराम अहीर जैसे नेता संभाल रहे हैं। सुधा यादव भी हरियाणा से आती हैं और हंसराज अहीर महाराष्ट्र के हैं। भूपेंद्र यादव बीजेपी संगठन के भी बड़े चेहरे हैं। ये केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य भी हैं। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में पाटलिपुत्र के सांसद और लालू यादव के पूर्व सहयोगी रामकृपाल यादव को भी जगह मिली हुई थी। लेकिन, तीन बड़े नेताओं के अलावा अन्य नेताओं के नाम में 'यादव' नहीं होने की वजह से शायद पार्टी को उनके अपने प्रदेशों के अलावा दूसरे राज्यों में उतना लाभ नहीं मिल पाता था, जो अब मोहन यादव से उम्मीद थी। देश में कहां है यादवों की ज्यादा आबादी? जहां तक यादवों की आबादी की बात है तो यह जाति हिंदी हार्टलैंड वाले राज्यों में तो बड़ी संख्या में हैं ही, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और झारखंड में भी बहुतायत में हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार की जनसंख्या में तो यह सब जातियों पर भारी हैं। इसी का परिणाम है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल की पूरी राजनीति ही यादव वोट बैंक पर टिकी रही है अब भाजपा के पास एक यादव मुख्यमंत्री, चार केंद्रीय मंत्री, एक संगठन के बड़े पदाधिकारी और एक आयोग के अध्यक्ष के अलावा लालू के साथ यादवों की राजनीति कर चुके एक यादव नेता भी हो गए हैं। जाहिर है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को सबसे बड़ी ओबीसी जाति में अपनी ताकत बढ़ाने की उम्मीद पैदा हुई है। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता का कहना है कि यादव आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत दक्षिण भारतीय राज्यों में भी हैं और बंगाल में भी इनकी आबादी है। उस नेता का कहना है कि परंपरागत तौर पर यादव हिंदू आस्था में रमे रहने वाले लोग हैं और पार्टी इनकी पहली पसंद बनना चाहती है।
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