मुंबई में ब्रिज का नामकरण , रखा 'सिंदूर ब्रिज' नाम
अगस्त 2022 में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते 150 साल पुराने कार्नैक ब्रिज को ध्वस्त किए जाने के बाद इसे बनाया गया है। यह ब्रिज प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल 328 मीटर लंबा है।
भारत में एक ऐसी ट्रेन है, जहां न टिकट की जरूरत होती है और न ही टीटीई का डर होता है.यह ट्रेन पिछले 75 सालों से यात्रियों को बिना किसी किराए के 13 किलोमीटर लंबा सफर करवाती आ रही है.
नई दिल्ली:ट्रेन का नाम सुनते ही मन में खिड़की के पास बैठने और प्लेटफॉर्म पर टिकट चेकिंग की तस्वीरें उभर आती हैं. लेकिन जरा सोचिए, अगर आप बिना टिकट किसी ट्रेन में सफर कर सकते हैं, और वो भी कानूनी तरीके से! जी हां, भारत में एक ऐसी ट्रेन है, जहां न टिकट की जरूरत होती है और न ही टीटीई का डर होता है.
यह ट्रेन पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच चलती है और इसे भाखड़ा-नांगल ट्रेन के नाम से जाना जाता है. यह ट्रेन पिछले 75 सालों से यात्रियों को बिना किसी किराए के 13 किलोमीटर लंबा सफर करवाती आ रही है. इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सफर करने वालों से एक पैसे का भी टिकट नहीं लिया जाता.
भाखड़ा-नांगल ट्रेन का रूट बेहद खूबसूरत है. यह ट्रेन सतलुज नदी को पार करती हुई शिवालिक की पहाड़ियों के बीच से गुजरती है. सफर के दौरान यह ट्रेन तीन सुरंगों और छह स्टेशनों से होकर जाती है, जो यात्रियों को एक अनोखा अनुभव देते हैं.
इस ट्रेन में सिर्फ तीन डिब्बे हैं और इनके अंदर लकड़ी के कोच लगे हुए हैं. खास बात यह है कि इन कोचों की कुर्सियां अंग्रेजों के जमाने की हैं, जिन्हें आज भी सुरक्षित रखा गया है. यह ट्रेन जब शुरू हुई थी, तब इसे भाप के इंजन से चलाया गया था. 1953 में इसमें डीजल इंजन लगाए गए, और तब से यह डीजल इंजन पर ही चल रही है.
1948 में जब भाखड़ा-नांगल डैम का निर्माण शुरू हुआ, तब इस ट्रेन को मजदूरों और निर्माण सामग्री को लाने-ले जाने के लिए चलाया गया था. यह ट्रेन भाखड़ा ब्याज मैनेजमेंट बोर्ड के प्रबंधन में है, न कि भारतीय रेलवे के अंतर्गत. जब डैम का काम पूरा हुआ, तो इस ट्रेन को बंद करने के बजाय इसे पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए चलाने का फैसला किया गया.
आज भी भाखड़ा-नांगल ट्रेन में रोजाना लगभग 800 लोग सफर करते हैं. यह ट्रेन न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती है, बल्कि स्थानीय लोग भी इस मुफ्त सफर का फायदा उठाते हैं.
जो लोग हिमाचल प्रदेश और पंजाब की प्राकृतिक खूबसूरती देखना चाहते हैं, उनके लिए यह ट्रेन एक शानदार विकल्प है. सतलुज नदी और शिवालिक की पहाड़ियों के बीच इस ट्रेन से सफर करना किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं है.
भाखड़ा-नांगल ट्रेन सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट का साधन नहीं, बल्कि हमारे देश की ऐतिहासिक विरासत की जीती-जागती मिसाल है. इसके कोच, इंजन और रास्ते सब मिलकर उस दौर की याद दिलाते हैं, जब देश में बड़े बांधों और परियोजनाओं की शुरुआत हो रही थी.
अगर आप भी बिना टिकट ट्रेन सफर का मजा लेना चाहते हैं और प्रकृति की खूबसूरती का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो भाखड़ा-नांगल ट्रेन आपका स्वागत करती है. यहां सफर करते हुए आपको न टिकट बुक करने की झंझट होगी और न ही टीटीई का डर सताएगा. एक ऐसा अनुभव होगा, जो जिंदगी भर याद रहेगा.
अगस्त 2022 में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते 150 साल पुराने कार्नैक ब्रिज को ध्वस्त किए जाने के बाद इसे बनाया गया है। यह ब्रिज प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल 328 मीटर लंबा है।
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