• 29 Jun, 2025

MP में शिव पर ही भरोसा, पांचवी बार फिर बनेगे CM

MP में शिव पर ही भरोसा, पांचवी बार फिर बनेगे CM

जीत के हीरो रहे शिवराज सिंह चौहान पांचवीं बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं. हालांकि, इस बार के चुनाव में शिवराज को मुख्यमंत्री चेहरा नहीं बनाया गया था. बीजेपी पीएम मोदी के फेस पर यह चुनाव लड़ रही थी.

भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 163 सीटें जीतने के साथ ही एक प्रचंड बहुमत हासिल किया है. भले ही ये चुनाव बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा हो, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  पार्टी की शानदार जीत के नायक बनकर उभरे हैं. वह सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी  से मुख्यमंत्री रहे हैं.माना जा रहा है कि 64 वर्षीय शिवराज ने सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए 'लाडली बहना'  जैसी गेम-चेंजर योजना शुरू करके मध्य प्रदेश में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की. हालांकि, उनकी पार्टी ने पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया.

13

चार बार रह चुके हैं मुख्यमंत्री1-2

शिवराज सिंह चौहान 29 नवंबर 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. उनके नेतृत्व में 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत से जीत मिली थी. बीजेपी ने उन्हें नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था, लेकिन इस चुनाव में वह अपनी पार्टी को बहुमत नहीं दिला सके और सत्ता उनके हाथ से खिसक कर कांग्रेस नेता कमलनाथ के हाथ में चली गई.

लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने और कांग्रेस के 22 विधायकों के बागी होने के कारण कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई, जिसके कारण कमलनाथ ने शक्ति परीक्षण से ठीक पहले 20 मार्च को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस के इन 22 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर होने के बाद ये सभी बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद कांग्रेस के पास मात्र 92 विधायक रह गए और बीजेपी 107 विधायकों के साथ बहुमत में आ गई. जिसके बाद बीजेपी विधायक दल ने चौहान को अपने दल का नेता चुना और वह 23 मार्च 2020 को चौथी बार मुख्यमंत्री बने.
लगातार पांच बार सांसद भी रहे
मुख्यमंत्री के रूप में वर्ष 2005 से वर्ष 2018 तक के कार्यकाल में शिवराज ने मध्य प्रदेश को बीमारू राज्य से बाहर निकाला. वह सादा जीवन जीना पसंद करते हैं. उन्होंने देश की राजनीति की बजाय मध्य प्रदेश की राजनीति में अपने को बनाए रखा. शिवराज इस बार छठी बार सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से जीते हैं. इसके अलावा, वह विदिशा लोकसभा सीट से वर्ष 1991 से वर्ष 2006 तक पांच बार लगातार सांसद भी रहे.

सीहोर जिले के जैत गांव में पांच मार्च 1959 को किसान प्रेम सिंह चौहान एवं सुन्दर बाई चौहान के घर में जन्मे शिवराज में नेतृत्व का हुनर तब सबसे पहले सामने आया, जब वह वर्ष 1975 में मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये. उनकी संगीत, अध्यात्म, साहित्य एवं घूमने-फिरने में विशेष रूचि है. उनकी पत्नी साधना सिंह हैं और उनके दो पुत्र कार्तिकेय एवं कुणाल है. कार्तिकेय कारोबारी हैं, जबकि कुणाल अभी अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. शिवराज की शैक्षणिक योग्यता पोस्ट ग्रेजुएशन तक है.

आपातकाल के दौर से कर रहे हैं राजनीति
चौहान 1972 में 13 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आये. 1975 में आपातकाल के आंदोलन में भाग लिया और भोपाल जेल में बंद रहे. भाजपा युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रांतीय पदों पर रहते हुए उन्होंने विभिन्न छात्र आंदोलनों में भी हिस्सा लिया.

उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर 29 नवंबर 2005 को पहली बार शपथ लेने वाले चौहान यहां लगातार दूसरी बार 2008 में और तीसरी बार 2013 में भी मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 2018 तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद वह 23 मार्च 2020 को चौथी बार मुख्यमंत्री बने.

वाजपेयी की सीट से पहली बार बने सांसद
चौहान वर्ष 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे. इसके बा 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उन्होंने लखनऊ सीट को रखा था और विदिशा से इस्तीफा दे दिया था. विदिशा में पार्टी ने शिवराज को प्रत्याशी बनाया और वह वहां से पहली बार सांसद बने.वर्ष 2005 में चौहान मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष नियुक्त किए गए और उन्हें 29 नवंबर 2005 को उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई.