• 05 Jul, 2025

उनके कंधे पर अंतिम समय तक टंगा रहा कैमरा

उनके कंधे पर अंतिम समय तक टंगा रहा कैमरा

छायाकार नितिन पोपट को जबलपुर की एक पहचान व ब्रांड भी कहा जा सकता है। जब भी जबलपुर में राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, कला क्षेत्र की कोई विभूति जबलपुर आती थी तब उसकी मुलाकात नितिन पोपट से अवश्य होती थी। यदि विभूति का पहली बार जबलपुर आगमन होता था, तो दूसरी बार जबलपुर आने पर उनकी निगाह नितिन पोपट को ज़रूर दूंढ़ती थी।


पंकज स्वामी

आज सुबह से जिस प्रकार बरसात हो रही है वह मीडिया के लिए आज व कल सुर्खी ज़रूर बनेगी। घर के भीतर से बाहर देखते हुए गत दिवस दिवंगत हुए नितिन पोपट का चेहरा याद आने लगा। याद आने लगे वह दृश्य जब छायाकार नितिन पोपट ज्यादा बरसात में जबलपुर के उन निचले इलाकों में जहां पानी भरा रहता था वहां पेंट घुटने तक मोड़ कर अपने कैमरे में तस्वीर कैद करने लगते थे। जबलपुर की ठेठ बोली में लिखें तो वे दिलेर, दबंग, स्पष्टवादी, मेहनत से खींची गई अपनी फोटो को अखबार में जगह दिलाने के लिए मुठभेड़ करने वाले व्यक्ति थे। वे अपनी फोटो को अखबार में छपवाने के लिए अखबार के संपादकीय कर्मियों व संपादक से बहस तक कर लेते थे। नितिन पोपट ने प्रेस फोटोग्राफी कभी व्यावसायिक रूप से नहीं की। सातवें दशक से 2017 तक वे छायांकन एक मिशन के रूप में करते रहे। व‍िभ‍िन्न घटनाओं की फोटो लेकर वे जबलपुर के सभी अखबारों को निस्वार्थ रूप से भेज देते थे। कैमरा का बेग उनके कंधे से कभी उतरा नहीं। बाद के दिनों में जब उन्होंने फोटोग्राफी करना छोड़ दिया तब भी कैमरा उनके कंधे पर लटकता रहता था। नितिन पोपट अपने साथ काम करने वाले छायाकार को गुरू मंत्र के रूप में यही संदेश देते थे कि कंधे पर कैमरा हर समय टंगे रहना चाहिए। नितिन पोपट के जीवन में कैमरे के अलावा दूसरी चीज नहीं छूटी वह उनकी मोपेड थी। लम्बे समय तक सुवेगा मोपेड में बैठकर वे जबलपुर की सड़कों पर फोटो की तलाश में घूमते रहे। बाद में यह सुवेगा मोपेड को उन्होंने छायाकार मदन सोनी को दे दी और नई मोपेड ले ली। मोपेड के अलावा वे कभी दूसरे वाहन में नहीं चले।

नितिन पोपट प्रेस फोटोग्राफी करते रहे इसलिए उनकी फोटोग्राफी में छायांकन का सौन्दर्य तो नहीं रहता था लेकिन तत्कालिकता, सजग दृष्ट‍ि, न्यूज सेंस उनका अद्भुत था। वे फोटोग्राफी सौन्दर्य के जबर्दस्त पक्षधर थे, इसलि‍ए जबलपुर की रानी दुर्गावती कला वीथि‍का में लगने वाली प्रत्येक फोटो प्रदर्शनी में पहुंचने वाले वे पहले व्यक्ति होते थे। नितिन पोपट अपने से पूर्व व बाद की पीढ़ी के छायाकार शश‍िन् यादव, हरि महीधर, रजनीकांत यादव, डा. जेएस मूर्ति के छायांकन की प्रशंसा करते थे और इन सबको खूब सम्मान देते थे।

विल्स सिगरेट का कश लेने के शौकीन और कड़क काफी पीने वाले नितिन पोपट ने जयंती टॉकीज (पूर्व में प्लाजा) के सामने अपने आफ‍िस व हर्षा प्रिंटर के डॉर्क रूम में किसी को प्रविष्ट नहीं होने दिया। ब्लेक एन्ड व्हाइट फोटोग्राफी के समय में नितिन पोपट स्वयं डॉर्क रूप में काम करना पसंद करते थे। वे फोटो की प्रोसेसिंग व डेव्लपिंग स्वयं करते थे। उनके सहायकों को इस बात की जानकारी नहीं रहती थी कि कौन सी फोटो उस समय नवभारत, नवीन दुनिया, देशबन्धु या युगधर्म में छपने के लिए भेजी जाएगी। नितिन पोपट फोटोग्राफी में इतने रम गए थे कि उन्हें अपने हर्षा प्रिंटर की कभी कोई ध्यान नहीं रहा। कम मात्रा या परिमाण में उनका विश्वास नहीं था इसलिए वे फिल्म के रोल और फोटो को प्रिंट करने के पेपर बड़ी संख्या में आर्डर करते थे। जिस समय ऑफसेट प्रिटिंग का चलन नहीं था तब स्वयं जेब से खर्च करके फोटो के ब्लॉक बनवाते और प्रेस में देकर आते थे। इस सदाशयता में उनकी हर्षा प्रिंटर सर्वाध‍िक रूप से प्रभावित हुई।

छायाकार नितिन पोपट को जबलपुर की एक पहचान व ब्रांड भी कहा जा सकता है। जब भी जबलपुर में  राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, कला क्षेत्र की कोई विभूति जबलपुर आती थी तब उसकी मुलाकात नितिन पोपट से अवश्य होती थी। यदि विभूति का पहली बार जबलपुर आगमन होता था, तो दूसरी बार जबलपुर आने पर उनकी निगाह नितिन पोपट को ज़रूर दूंढ़ती थी। राष्ट्रीय स्तर की सैकड़ों विभूतियों से नितिन पोपट के व्यक्तिगत संबंध थे। कवि नीरज से नितिन पोपट की प्रगाढ़ता जग जाहिर थी। ब्रांड के रूप में नितिन पोपट इसलिए याद आते हैं क्योंकि जब उनका श‍िखर था तब बहुत से लोग नवभारत में फोटो क्रेडिट में उनका नाम देखकर विवाह समारोह में फोटो खींचने के लिए सम्पर्क करते थे। कई लोग नितिन पोपट का पता पूछते हुए जयंती टॉकीज के सामने हर्षा प्रिंटर पहुंच जाते थे। इस प्रकार का कार्य उन्होंने किया लेकिन बहुत कम।

जबलपुर के मीडिया में छायाकारों की दूसरी पंक्ति तैयार करने में नितिन पोपट का सबसे बड़ा योगदान है। नितिन पोपट के मार्गदर्शन में बसंत मिश्रा, सुगन जाट, पप्पू शर्मा, तापस सूर, अनिल तिवारी, पंकज पारे जैसे छायाकार उभरे और उन्होंने अपना व‍िश‍िष्ट स्थान बनाया। सुगन जाट तो नितिन पोपट के डॉर्क रूम में काम करके खींची गई फोटो को अपनी कला से छायांकन की दृष्ट‍ि से दर्शनीय व सुंदर बना देते थे।  

नितिन पोपट को दिवंगत होने के बाद याद करने के कई कारण हैं। पहला तो नई पीढ़ी उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती और दूसरा उनके जैसे लोग जबलपुर में लगातार कम होते जा रहे हैं। नितिन पोपट के whatsapp प्रोफाइल में एक कोटेशन था-‘हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया’। वाकई में नितिन पोपट हर फ्रि‍क को धुएं में उड़ाते रहे और इसे उड़ाते हुए संसार से चले गए। श्रद्धांजलि 🔷