भूपेन दा...भारत के रत्न
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भूपेन हजारिका जी की जयंती पर उनके जीवन और संगीत पर गहन विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी रचनाएं लाखों लोगों को प्रेरित करती रही हैं।
पिछले एक दशक में, महिला सशक्तिकरण के प्रति मोदी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता ने सामाजिक कल्याण को नेतृत्व, सम्मान और अवसर के एक गतिशील आधार में बदल दिया है, जिससे लैंगिक समानता की दिशा में एक गंभीर बदलाव आया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता और राजनीतिक प्रतिनिधित्व से जुड़ी लक्षित योजनाओं के माध्यम से, विविध पृष्ठभूमियों की लाखों महिलाएं न केवल आवश्यक संसाधनों तक पहुँच प्राप्त कर रही हैं .
आलेख - समीर वर्मा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से हुए परिवर्तनकारी बदलाव ने महिलाओं की भूमिका को पुनर्परिभाषित किया है। मोदी के नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि महिलाएं की भूमिका केवल सहायता प्राप्त करने तक नहीं रहे बल्कि वे भारत के विकास से जुड़े परिवर्तनों के लिए गतिमान उत्प्रेरक के रूप में उभरें। सरकार ने व्यापक और समावेशी रणनीति के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वच्छता और वित्तीय समावेशन को लक्षित करते हुए पहलें शुरू की हैं, जिससे "नारी शक्ति" राष्ट्रीय प्रगति की आधारशिला बन गई है जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं का उत्थान करती है ताकि वे सम्मान, सुरक्षा और स्वतंत्रता के साथ जीवनयापन करें।
मोदी के दृष्टिकोण से ऊर्जस्वित यह सशक्तिकरण भारत के परिदृश्य को नया आकार दे रहा है, महिलाएं स्वयं सहायता समूहों का नेतृत्व कर रही हैं, उद्यम शुरू कर रही हैं, विज्ञान, रक्षा और खेल जगत में उत्कृष्टता हासिल कर रही हैं और राष्ट्रीय प्रगति को गति दे रही हैं। भारत की लगभग 67.7 प्रतिशत जनसंख्या महिलाओं और बच्चों की है, इसलिए उनका सशक्तिकरण केवल एक सामाजिक सुधार ही नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता भी है। जैसे-जैसे भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है, नारी शक्ति एक अजेय शक्ति के रूप में उभर रही है जो एक अधिक सशक्त, समावेशी राष्ट्र को एक उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर कर रही है।
जीवन के सभी चरणों में सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण पर आधारित दिशा निर्देशों के अनुरूप यह सशक्तिकरण निरंतर यात्रा है, न कि एक बार की उपलब्धि, और मोदी सरकार की नीतियां जीवन के हर पड़ाव पर महिलाओं का समर्थन करके इसे साकार करती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार इस बात पर ज़ोर दिया है कि एक राष्ट्र तभी फलता-फूलता है जब उसकी महिलाएं समान रूप से सशक्त होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 11 वर्षों में एक समग्र, जीवनचक्र-आधारित नीतिगत ढांचा तैयार हुआ है। यह ढाँचा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिसमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिशन शक्ति और अभूतपूर्व नारी शक्ति वंदन अधिनियम जैसी पहलों ने केवल विकास से हटकर महिलाओं के नेतृत्व वाली प्रगति पर ध्यान केन्द्रित किया है। शिक्षा—विशेषकर एसटीईएम—कौशल विकास, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उद्यमिता और सार्वजनिक सेवा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, जबकि कानूनी सुधार और श्रम संहिताएँ सुरक्षित, समावेशी कार्यस्थलों को बढ़ावा देती हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, डे-एनआरएलएमऔर कृषि सहायता जैसी योजनाओं ने महिलाओं के वित्तीय और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है, जिससे वे जमीनी स्तर पर शासन, रक्षा, विमानन और उससे आगे के क्षेत्रों में नेतृत्व करने में सक्षम हुई हैं, जिससे समावेशी और निरंतर राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा मिला है।
मिशन पोषण के माध्यम से भारत की कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई को गति मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह एक परिवर्तनकारी कार्यक्रम है जो पोषण, स्वास्थ्य और सामुदायिक प्रयासों को एकीकृत करके एक स्वस्थ भविष्य का निर्माण करता है। पोषण सेवाओं की गुणवत्ता और वितरण को बेहतर बनाकर, यह पहल कमज़ोर समूहों - बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं - को लक्षित करती है, जिससे कुपोषण से प्रभावी ढंग से निपटने और एक मज़बूत, स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण के लिए व्यापक सहयोग सुनिश्चित होता है।
मिशन पोषण 2.0
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की ओर से आवंटित 1.81 लाख करोड़ रुपए से अधिक के दूरदर्शी निवेश के साथ, पोषण 2.0 को 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-22 से 2025-26) में बेहतर कार्य प्रणालियों, मजबूत प्रतिरक्षा और समग्र कल्याण की संस्कृति का निर्माण करने के लिए लागू किया जा रहा है। यह विभिन्न क्षेत्रों के प्रयासों को एकजुट करता है, एक सम्मिलित इकोसिस्टम का निर्माण करता है जो पोषण को राष्ट्रीय विकास के एक साझा मिशन में बदल देता है। इस आंदोलन के केन्द्र में 2018 में शुरू किया गया पोषण अभियान है - एक प्रमुख कार्यक्रम जो अत्याधुनिक डिजिटल उपकरणों को जमीनी स्तर की कार्रवाई के साथ जोड़ता है। पोषण संकेतकों की रीयल-टाइम ट्रैकिंग से लेकर समुदाय संचालित अभियानों तक, इसने भोजन, स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर व्यवहारिक बदलाव को प्रेरित किया है। यह मिशन केवल लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के बारे में नहीं है - यह एक स्वस्थ, सशक्त भारत को बढ़ावा देने के बारे में है।
सक्षम आंगनवाड़ियों का सुधार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के अंतर्गत 15वें वित्त आयोग के चक्र (प्रति वर्ष 40,000 आंगनवाड़ी केन्द्रों की दर से) के दौरान देश भर में 2 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों (एडब्ल्यूसी) को सुधारने का लक्ष्य रखा है। सुधारे गए इन केन्द्रों का उद्देश्य छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के समग्र विकास में सहायता करते हुए बेहतर पोषण और प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) प्रदान करना है।
●वित्त वर्ष 2024-25 में, 2 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों के सुधार को पूर्ण स्वीकृति प्रदान की गई।
●अब तक, 24,533 आंगनवाड़ी केन्द्रों को सक्षम आंगनवाड़ी केन्द्रों में परिवर्तित किया जा चुका है।
पोषण भी पढ़ाई भी (पीबीपीबी) पहल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रारंभिक शिक्षा को पोषण के साथ जोड़ने के लिए शुरू की गई यह पहल गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूल शिक्षा प्रदान करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण पर केन्द्रित है।
31 मार्च 2025 तक, देश भर में 36,463 राज्य-स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों (एसएलएमटी) और 4,65,719 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
नवाचार के लिए मान्यता: पोषण ट्रैकर उपलब्धियां
पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन को सिविल सेवा दिवस पर लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार 2024 (नवाचार श्रेणी – केन्द्र) प्राप्त हुआ।
● सितंबर 2024 में 27वें राष्ट्रीय सम्मेलन में ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (स्वर्ण) जीता।
● 99.02प्रतिशत लाभार्थी अब आधार-सत्यापित हैं (मार्च 2025तक)।
● टेक-होम राशन (टीएचआर) के लिए एक फेस ऑथेंटिकेशन मॉड्यूल शुरू किया गया है, जो दो-कारक प्रमाणीकरण प्रणाली के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 26 दिसम्बर 2024 को शुरू किया गया यह अभियान पोषण और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए जमीनी स्तर पर असाधारण काम करने वाली शीर्ष 1000 ग्राम पंचायतों की पहचान करता है और उन्हें पुरस्कृत करता है। ये "सुपोषित ग्राम पंचायतें" बाल और मातृ पोषण में समुदाय-आधारित प्रगति के मॉडल के रूप में कार्य करती हैं। सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों में से एक है, जो सालाना लगभग 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं तक पहुँचता है और माताओं और उनके नवजात शिशुओं दोनों को टीके से रोके जा सकने वाली बीमारियों से बचाता है।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) का 2014 में विस्तार किया गया ताकि इसमें प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर सभी जटिलताओं की देखभाल शामिल की जा सके, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि माताओं और नवजात शिशुओं को आवश्यक सेवाएँ प्राप्त हों, खासकर प्रसव के बाद के महत्वपूर्ण पहले 48 घंटों के भीतर। 2014-15 से, इस कार्यक्रम ने 16.60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को लाभान्वित किया है, जिससे परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल की लागत का एक हिस्सा चुकाने के लिए अपनी जेब से किए जाने वाले खर्च में उल्लेखनीय कमी आई है।
जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई)
जेएसएसके के पूरक के रूप में, जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) ने भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जो मार्च 2025 तक 11.07 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सहायता प्रदान करेगी। यह सशर्त नकद हस्तांतरण योजना गरीब गर्भवती महिलाओं, विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में, संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करती है।
सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन)
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुरु की गई सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) पहल मातृ एवं नवजात शिशु देखभाल की व्यवस्था को और मज़बूत बनाते हुए गर्भवती महिलाओं, बीमार नवजात शिशुओं और प्रसव के छह महीने बाद तक माताओं के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक शून्य-लागत में पहुंच सुनिश्चित करती है। इस पहल के माध्यम से, लाभार्थियों को प्रमाणित सुविधाओं में प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा सम्मानजनक देखभाल प्राप्त होती है। मार्च 2025 तक, देश भर में 90,015 सुमन स्वास्थ्य सुविधाएं अधिसूचित की जा चुकी हैं।
मिशन इन्द्रधनुष
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुयोग्य नेतृत्व में मिशन इंद्रधनुष 25 दिसम्बर, 2014 को शुरू किया गया, जो भारत में टीकाकरण कवरेज को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण जन स्वास्थ्य पहल है। इसका लक्ष्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं को जानलेवा बीमारियों से बचाना है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के अंतर्गत, यह मिशन, भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) की कमियों को दूर करता है ताकि संवेदनशील आबादी को जानलेवा लेकिन रोकथाम योग्य बीमारियों से बचाया जा सके।
दिसंबर 2024 तक 5.46 करोड़ से अधिक बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के आधार पर प्रोत्साहित एवं पोषित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) ने उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं का समय पर पता लगाने के लिए पहली तिमाही के दौरान प्रसवपूर्व चार व्यापक जांचों की पेशकश करके मातृ स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अगस्त 2025तक, 6813 स्वयंसेवक पंजीकृत किए जा चुके हैं, और देश भर में पीएमएसएमए सेवाएं प्रदान करने वाली 22,349 सुविधाएं हैं, जिनमें पीएमएसएमए के तहत 64,865,150 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2017 से कार्यान्वित प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले बच्चे के लिए 5,000 रुपये (साथ ही जननी सुरक्षा योजना प्रोत्साहन, औसतन 6,000 रुपये) और दूसरे बच्चे के लिए 6,000 रुपये का मातृत्व लाभ प्रदान करती है, यदि वह लड़की है, तो बालिका कल्याण को बढ़ावा देती है और जन्म के समय लिंग अनुपात में सुधार करती है।
इस योजना से 2025 तक 4.05 करोड़ व्यक्तियों को लाभ मिलेगा, इसके लिए कोई विशिष्ट बजट आवंटन या आवंटन वर्ष प्रदान नहीं किया गया है।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सशक्तिकरण: एक धीमा परिवर्तन
मोदी सरकार ने महिलाओं को भारत की विकास यात्रा के केन्द्र में रखा है, उनके रोज़मर्रा के संघर्षों को स्वास्थ्य, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के अवसरों में बदला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर बल दिया है कि सच्चा सशक्तिकरण सम्मान से शुरू होता है— एक सुरक्षित घर, स्वच्छ ईंधन, निजी शौचालय और घर के दरवाज़े पर पानी। आवास से लेकर स्वच्छता तक, मोदी सरकार की हर पहल ने जीवन को बेहतर बनाया है और ग्रामीण भारत में नारी शक्ति की नींव को मज़बूत किया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (पीएमएवाई-जी)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) ने सपनों को कंक्रीट के घरों में बदल दिया। लगभग 2.75 करोड़ पीएम आवास-ग्रामीण लाभार्थियों में 73 प्रतिशत महिलाएं हैं। घर के मालिक होने से महिलाओं को न केवल आश्रय मिला है - इसने उन्हें सम्मान, सुरक्षा और निर्णय लेने की मेज पर एक स्थान दिया है।
उज्ज्वला योजना
2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की शुरुआत के साथ, 10.33 करोड़ एलपीजी कनेक्शन वितरित किए गए हैं, जिससे महिलाओं को खतरनाक धुएं से मुक्ति मिली है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने इसे स्वास्थ्य और पर्यावरण सुधार में एक उपलब्धि और लैंगिक असमानता को पाटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
स्वच्छ भारत मिशन
2014 से पहले, केवल 39 प्रतिशत भारतीय घरों में ही शौचालय की सुविधा थी, जिससे महिलाएं और लड़कियां स्वास्थ्य जोखिमों, उत्पीड़न और रोज़मर्रा की बेइज्जती के प्रति संवेदनशील रहती थीं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुयोग्य नेतृत्व में 2014 में शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन ने अपने ग्रामीण कार्यक्रम के तहत 12 करोड़ से ज़्यादा शौचालयों का निर्माण करके इस वास्तविकता में क्रांति ला दी, जिससे महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के आधार पर हुए इस बदलाव के उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं: एक अध्ययन से पता चलता है कि 93 प्रतिशत महिलाओं को अब किसी नुकसान या संक्रमण का डर नहीं है, 92 प्रतिशत रात में सुरक्षित महसूस करती हैं, और 93 प्रतिशत महिलाओं को अब खुले में शौच से बचने के लिए खाने-पीने पर पाबंदी लगाने की ज़रूरत नहीं है। इस महत्वपूर्ण ज़रूरत को पूरा करके, मिशन ने महिलाओं को नए आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान से सशक्त बनाया है।
जल जीवन मिशन
ग्रामीण महिलाओं के लिए अक्सर लंबी दूरी से पानी लाना एक रोज़मर्रा का बोझ था। महिलाओं से सहानुभूति रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने इस बोझ को खत्म करने का प्रयास किया। 15.68 करोड़ से ज़्यादा नल जल कनेक्शन ग्रामीण जीवन को बदल रहे हैं, जो 2019 में मात्र 3.23 करोड़ कनेक्शनों से एक बड़ी छलांग है। जेजेएमने न केवल महिलाओं का समय बचाकर, बल्कि उन्हें जल आपूर्ति की योजना, क्रियान्वयन और निगरानी में शामिल करके उन्हें अपने समुदाय के भविष्य में सच्ची हितधारक बनाकर सशक्त बनाया है।
महिलाओं को शिक्षित करना, प्रगति को सरल बनाना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी)
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) 918 (2014-15) से बढ़कर 930 (2023-24) हो गया है।
शिक्षा मंत्रालय के यूडीआईएसई आंकड़ों के अनुसार, माध्यमिक स्तर तक के स्कूलों में लड़कियों का नामांकन (2014-15) के 75.51प्रतिशतसे बढ़कर 2023-24 में 78 प्रतिशत हो गया है।
सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई)
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार की ओर से 22 जनवरी 2015 को शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) ने वित्तीय सुरक्षा के माध्यम से बालिकाओं को सशक्त बनाने का एक दशक पूरा कर लिया है। नवंबर 2024 तक, पूरे भारत में 4.2 करोड़ से ज़्यादा खाते खोले जा चुके हैं, जो इस योजना में व्यापक जनभागीदारी और विश्वास को दर्शाता है। जनवरी 2025 में अपने 10 साल पूरे होने पर, एसएसवाईपरिवारों को अपनी बेटियों के भविष्य में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती रही है—जिससे वित्तीय समावेशन, लैंगिक समानता और दीर्घकालिक सामाजिक प्रगति को बढ़ावा मिलता है।
महिलाओं का सशक्तिकरण, राष्ट्र का सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की महिला सशक्तिकरण यात्रा सशक्त सामाजिक कल्याणकारी उपायों पर आधारित रही है और अब नेतृत्व और एजेंसी के एक आंदोलन के रूप में विकसित हो गई है। कल्याण से नेतृत्व तक, भारतीय महिलाएं अब राष्ट्र के भाग्य को आकार दे रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, महिलाओं को निष्क्रिय लाभार्थी के रूप में देखने की बजाय, उन्हें परिवर्तन के सक्रिय वाहक के रूप में मान्यता देने की अवधारणा विकसित हुई है।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिला कैडेट
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुयोग्य नेतृत्व में 30 मई 2025 को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब 17 महिला कैडेट पहली बार स्नातक हुईं, जो 336कैडेटों में 319 पुरुष समकक्षों के साथ शामिल हुईं, जिन्होंने 148वां कोर्स - स्प्रिंग टर्म 2025 पूरा किया।
एसटीईएम में महिलाएं
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के आधार पर विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय महिलाएं विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं और सितारों तक पहुंच रही हैं। उन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता और लैंगिक समावेशिता का प्रतीक है। देश में दुनिया में सबसे ज़्यादा महिला पायलट हैं और एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में स्नातक करने वाली महिलाओं के अनुपात में यह दुनिया में सबसे आगे है, जो एक आत्मविश्वासी, सक्षम और महत्वाकांक्षी नारी शक्ति के उदय को दर्शाता है।
पोषण के माध्यम से अनुसंधान उन्नति में ज्ञान भागीदारी (किरण) योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के कार्यकाल में 2014 में शुरू की गई विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में महिलाएं-किरण (वाइज-किरण) योजना महिला वैज्ञानिकों को विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में नवीन अनुसंधान करने, सामाजिक मुद्दों से निपटने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-संचालित इंटर्नशिप को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाती है जिससे स्वरोज़गार संभव हो सके। यह योजना उन लैंगिक-विशिष्ट बाधाओं को दूर करती है जो अक्सर योग्य महिलाओं को वैज्ञानिक एवं तकनीकी गतिविधियों से वंचित कर देती हैं, खासकर मातृत्व और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण करियर में आने वाली रुकावटों के कारण। यह योजना एसटीईएम इकोसिस्टम में उनकी सक्रिय भागीदारी और योगदान को बढ़ावा देती है।
नमो ड्रोन दीदी योजना
प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के आधार पर 15 अगस्त, 2023 को शुरू की गई नमो ड्रोन दीदी योजना, डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं को कृषि में ड्रोन के उपयोग के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी (8 लाख रुपए तक) और प्रशिक्षण प्रदान करके सशक्त बनाती है, जिससे उनकी आय सालाना 1 लाख रुपए से अधिक बढ़ जाती है, टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलता है और ग्रामीण रोज़गार व वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है। इस योजना का उद्देश्य 2024-25 से 2025-2026 की अवधि के दौरान 15,000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को किराये की सेवाएँ प्रदान करने हेतु ड्रोन प्रदान करना है। इसके लिए नवीनतम ड्रोन तकनीक से कृषि के आधुनिकीकरण हेतु 1261 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुयोग्य नेतृत्व में इस परिवर्तन को संस्थागत रूप देते हुए, ऐतिहासिक नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में एक संवैधानिक छलांग है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करके - अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए समर्पित प्रतिनिधित्व के साथ - यह अधिनियम शासन में उनके उचित स्थान को सुनिश्चित करता है। यह दिखावे से आगे बढ़कर, महिला नेताओं की एक ऐसी पीढ़ी की नींव रखता है जो भारत की भावी नीतियों और प्रगति को आकार देंगी।
महिलाओं के लिए समान अधिकार
प्रधानमंत्री मोदी की कल्पना में महिलाओं का बढ़ता विश्वास सार्थक सुधारों में निहित है, जो उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करते हैं।
● तीन तलाक के उन्मूलन ने मुस्लिम महिलाओं को वह सम्मान और कानूनी सुरक्षा प्रदान की है जिसकी वे लंबे समय से हकदार थीं।
● महिलाओं की विवाह योग्य आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव शिक्षा और रोज़गार के अवसरों में मदद करेगा।
●मातृत्व अवकाश को दोगुना करके 26 सप्ताह करने से भारत कामकाजी माताओं का सहयोग करने वाले सबसे प्रगतिशील देशों में शामिल हो गया है।
●और अनुच्छेद 35ए के निरस्त होने से, जम्मू और कश्मीर में महिलाओं को अब समान संपत्ति और कानूनी अधिकार प्राप्त हैं - जो पिछले अन्याय का एक ऐतिहासिक सुधार है।
वित्तीय समावेशिता और आर्थिक सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा इस बात पर बल दिया है कि भारत की महिलाओं में सही अवसर मिलने पर बदलाव लाने की अपार क्षमता है। जैसे-जैसे देश विकास के पथ पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, महिलाओं की महत्वाकांक्षाएं और अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। मोदी सरकार ने इस प्रभावशाली बदलाव को समझते हुए महत्वाकांक्षी महिला उद्यमियों को सहायता देने और संस्थागत ऋण हासिल करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। दो प्रमुख योजनाओं— प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) और स्टैंड-अप इंडिया— ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)
यह योजना चार ऋण उत्पादों के माध्यम से 20 लाख रुपए तक के ऋण प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत के बाद से, मार्च 2025तक 52.5 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें स्वीकृत राशि 34.11 लाख करोड़ रुपए और वितरित राशि 33.33 लाख करोड़ रुपए है। उल्लेखनीय है कि इनमें से लगभग 68 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को दिए गए, जो महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को बढ़ावा देने में इस योजना की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर डालता है।
स्टैंड-अप इंडिया योजना
वर्तमान मोदी सरकार की ओर से 5 अप्रैल 2016 को शुरू की गई स्टैंड-अप इंडिया योजना, ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए प्रत्येक बैंक शाखा से कम से कम एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए तक के बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करती है। इस योजना को 2019-20 में 15वें वित्त आयोग की अवधि 2020 से 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। मार्च 2025 तक, इस योजना के तहत 2.73 लाख से अधिक खाते स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 2,04,058 ऋण, यानी लगभग 83प्रतिशतमहिलाओं को स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी राशि 47,704 करोड़ रुपए से अधिक है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम)
इस योजना का उद्देश्य आत्मनिर्भरता, कौशल विकास और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देकर ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना है। इसके तहत, 10.05 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं को 90.90 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित किया गया है। इस सशक्तिकरण को एक कदम आगे बढ़ाते हुए, लखपति दीदी पहल एक जबरदस्त बदलाव के रूप में उभरी है। मार्च 2025 तक, इसने 1.48 करोड़ एसएचजी सदस्यों को विविध और स्थायी आजीविका गतिविधियों के माध्यम से न्यूनतम 1लाख रुपए की वार्षिक आय अर्जित करने में सक्षम बनाया है।
लखपति दीदी योजना
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा केन्द्र प्रायोजित दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत 15 अगस्त, 2023को शुरू की गई लखपति दीदी पहल, चंडीगढ़ और दिल्ली को छोड़कर, पूरे भारत में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ साझेदारी के माध्यम से गरीब ग्रामीण परिवारों के उत्थान के लिए एक परिवर्तनकारी प्रयास है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्थायी आजीविका के अवसरों के माध्यम से कम से कम ₹1 लाख की वार्षिक घरेलू आय प्राप्त करने में सक्षम बनाकर उन्हें सशक्त बनाना, आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देना है। ग्रामीण परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करके, यह महिलाओं को कौशल विकास, सूक्ष्म वित्त और बाजार संपर्कों तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे उद्यमिता और सामुदायिक नेतृत्व को प्रोत्साहन मिलता है।
2025 तक, 8.7 करोड़ डिजिटल आजीविका पंजीकरण और 4.13 लाख आजीविका सीआरपीएस के साथ 3.35 करोड़ संभावित लखपति दीदी की पहचान की गई है।
बचाव और सुरक्षा
मिशन शक्ति
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विशेष उद्देश्य से मिशन शक्ति का शुभारंभ भारत सरकार द्वारा जीवन के सभी चरणों में महिलाओं की सुरक्षा, बचाव और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने हेतु एक प्रमुख पहल है। यह योजना, टुकड़ों में किए जाने वाले उपायों से आगे बढ़कर, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महिलाओं को समान हितधारकों के रूप में परिवर्तित करने के लिए एक जीवन-चक्र-आधारित रणनीति अपनाती है। यह योजनाओं में तालमेल को भी बढ़ावा देती है और विशेष रूप से जमीनी स्तर की पहलों के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करती है। मिशन शक्ति के दो स्तंभ हैं:
●संबल
●सामर्थ्य
संबल - महिलाओं की सुरक्षा और बचाव पर ध्यान केन्द्रित करता है, जिसमें उन्नत योजनाएं शामिल हैं:
वन स्टॉप सेंटर (ओएससी): निजी या सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं की सहायता के लिए डिज़ाइन किए गए इन वन स्टॉप सेंटरों में अब प्रति केंद्र ₹4.5लाख के वार्षिक अनुदान के साथ एक समर्पित आपातकालीन बचाव वाहन का प्रावधान शामिल है। मिशन शक्ति डैशबोर्ड में एक नया डिजिटल फीचर, "ओएससी पर अपॉइंटमेंट बुक करें", जोड़ा गया है, जिससे संकटग्रस्त महिलाएं समय पर सहायता के लिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट ले सकती हैं।
28 फरवरी 2025 तक, 908 ओएससी को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 819 चालू हैं, तथा 1अप्रैल 2015 को अपनी स्थापना के बाद से 10.98 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है।
महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल): 35राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल को छोड़कर) में ईआरएसएस 112के साथ पूरी तरह से एकीकृत। यह 33 राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों और 536 ओएससीमें चाइल्ड हेल्पलाइन से भी जुड़ा हुआ है। इसकी शुरुआत से अब तक, देश भर में 214.78 लाख कॉल प्राप्त हुई हैं और 85.32 लाख महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है।
शी-बॉक्स पोर्टल: 29 अगस्त 2024 को शुरू किया गया यह यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स, यौन उत्पीड़न कानून, 2013 के तहत एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो महिलाओं को कार्यस्थल पर उत्पीड़न की रिपोर्ट करने और निवारण प्राप्त करने के लिए एक उपयोगकर्ता-अनुकूल तंत्र प्रदान करता है।
नारी अदालत: समुदाय-आधारित महिला-नेतृत्व वाली न्याय व्यवस्था को बढ़ावा देने वाली एक ज़मीनी पहल, जो वर्तमान में असम और जम्मू-कश्मीर में 50-50 ग्राम पंचायतों में चल रही है। जल्द ही इसका विस्तार बिहार, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में 10-10 ग्राम पंचायतों और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 5ग्राम पंचायतों में किया जाएगा।
सामर्थ्य - शिक्षा, कौशल विकास और संस्थागत समर्थन के माध्यम से सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करता है:
शक्ति सदन (पूर्व में स्वाधार गृह और उज्ज्वला गृह): 2014-15 से31दिसम्बर 2024 तक 2.92लाख से अधिक महिलाओं को लाभ मिला है, इसके कार्यान्वयन के लिए राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को 630.43 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
सखी निवास (पूर्व में कामकाजी महिलाओं के हॉस्टल): इसी अवधि में, इस योजना के तहत 5.07लाख महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है, जिसमें राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को 196.05 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के आधार पर माननीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी द्वारा #अबकोईबहानानहीं अभियान 25 नवम्बर 2024 को शुरू किया गया, जो लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ यह राष्ट्रीय अभियान महिला एवं बाल विकास और ग्रामीण विकास मंत्रालयों द्वारा संयुक्त राष्ट्र महिला के समर्थन से एक संयुक्त पहल है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भूपेन हजारिका जी की जयंती पर उनके जीवन और संगीत पर गहन विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी रचनाएं लाखों लोगों को प्रेरित करती रही हैं।
छायाकार नितिन पोपट को जबलपुर की एक पहचान व ब्रांड भी कहा जा सकता है। जब भी जबलपुर में राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, कला क्षेत्र की कोई विभूति जबलपुर आती थी तब उसकी मुलाकात नितिन पोपट से अवश्य होती थी। यदि विभूति का पहली बार जबलपुर आगमन होता था, तो दूसरी बार जबलपुर आने पर उनकी निगाह नितिन पोपट को ज़रूर दूंढ़ती थी।
AI और रोबोटिक्स पिकिंग, पैकिंग और सॉर्टिंग जैसे कार्यों को स्वचालित करके वेयरहाउस संचालन को बदल रहे हैं। ये प्रगति श्रम लागत को कम करती है, सटीकता में सुधार करती है और ऑर्डर पूर्ति को गति देती है।