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जम्मू कश्मीर के विशेषाधिकार को साल 2019 में खत्म करना सही था या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आज इस पर अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में भारत सरकार के कदम को बरकरार रखा है. इस तरह अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला जारी रहेगा.सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आज अनुच्छेद 370 पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया.
नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आज (11 दिसंबर) अनुच्छेद 370 पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल-370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है. आर्टिकल 370 हटाना संवैधानिक रूप से वैध है. सीजीआई ने सुनवाई के दौरान कहा, "हमें सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा. लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र रहेगा. हम निर्देश देते हैं कि चुनाव आयोग नए परिसीमन के आधार पर 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाए. राज्य का दर्जा भी जितना जल्द संभव हो, बहाल किया जाए.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 16 दिनों की बहस के बाद 5 सितंबर को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने क्या कहा
CJI ने विचार किए गए मुख्य सवालों पर कहा, हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है. स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं. उसे चुनौती नहीं दी जा सकती संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए. राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है. संसद राज्य विधानसभा की जगह काम कर सकता है.
कोर्ट ने कहा, जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए, जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई. वह भारत के तहत हो गया. साफ है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है.
आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें –
पहला – सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं रहा. कोर्ट ने माना है कि इसकी आंतरिक संप्रभुता नहीं है. साथ ही जहां तक अनुच्छेद 370 का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने इसे संघवाद की विशेषता बताया है न कि संप्रभुता का. कोर्ट ने माना है कि जम्मू-कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान का अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी.
दूसरा – आर्टिकल 370 परमानेंट है या टेंपररी, इस सवाल के आस पास सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी दलीलें रखी गईं थी. याचिकाकर्ताओं का मानना था कि यह एक स्थाई प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान है, इसे परमानेंट प्रावधान नहीं समझा जान चाहिए.
तीसरा – CJI डीवाई चंद्रचबड़ ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि इसे याचिकाकर्ताओं ने विस्तार से चुनौती नहीं दी थी.
चौथा – जम्मू कश्मीर 2019 के फैसले के बाद राज्य न रह कर एक केंद्र शासित प्रदेश हो गया जिसकी अपनी विधानसभा होगी. हालांकि अभी तक सरकार ने राज्य में चुनाव को लेकर कोई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं की है. अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जम्मू कश्मीर में 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने की बात कही है. साथ ही कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने की बात कही है.
पांच – सवाल यह भी था कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा या ये भी दोबारा से जम्मू कश्मीर का हिस्सा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लद्दाख यूनियन टेरिटरी के तौर पर ही जाना जाएगा.
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