• 28 Jun, 2025

पेट की अच्छी सेहत के लिए ये खाएं और इन चीज़ों से करें परहेज़

पेट की अच्छी सेहत के लिए ये खाएं और इन चीज़ों से करें परहेज़

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा होता है कि पेट में एक अजीब सा दबाव और भारीपन बना हुआ महसूस होता है, शरीर में थकान लगती है और बिना किसी वजह के, बस ठीक नहीं लगता?

लंदन। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा होता है कि पेट में एक अजीब सा दबाव और भारीपन बना हुआ महसूस होता है, शरीर में थकान लगती है और बिना किसी वजह के, बस ठीक नहीं लगता? तो संभव है कि आपका पेट आपसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा है.दरअसल, पेट सेहतमंद है या नहीं इसका पता केवल सही पाचनशक्ति से ही नहीं लगता. बल्कि, इसका ताल्लुक़ आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली( इम्यून सिस्टम), मानसिक सेहत, आपके मूड, यहां तक कि आप कितने ऊर्जावान महसूस करते हैं, इससे भी है.हमारा पेट ख़रबों बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों (माइक्रोब्स) का घर है, ये तभी स्वस्थ रहते हैं, जब हम संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेते हैं.पर खान-पान सही न हो तो इसका प्रभाव हमारे पेट की सेहत पर पड़ सकता है. जिससे पाचन से संबंधित समस्याएं, सूजन और लंबे समय तक बनी रहने वाली बीमारियां भी हो सकती हैं.
बीबीसी में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक जैसे हर शख़्स के फिंगरप्रिंट्स अलग होते हैं, वैसे ही हर शख़्स के पेट में मौजूद जीवाणु या बैक्टीरिया भी अलग-अलग होते हैं. इसका मतलब है कि कुछ लोगों की पाचन शक्ति मज़बूत हो सकती है, वहीं कुछ की कमज़ोर.एक सेहतमंद पेट के पीछे कई फ़ैक्टर्स काम करते हैं. जैसे; जेनेटिक्स, आप के आसपास का पर्यावरण, आपकी डाइट और यहां तक कि आपकी शुरुआती जीवन से जुड़ी कुछ कड़ियां भी. मसलन किसी का जन्म सी-सेक्शन के ज़रिए हुआ या नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से. ये सारी ही चीज़ें एक स्वस्थ पेट को आकार देने में अहम भूमिका निभाती हैं.
अब चूंकि हर शख़्स के पेट में मौजूद बैक्टीरिया एक दूसरे से अलग होते हैं, इसलिए शोधकर्ताओं को इनसे जुड़े शोध करने में भी ख़ासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वैज्ञानिकों को जहां कुछ अच्छे बैक्टीरिया खोजने में सफलता मिली है, वहीं कौन से बैक्टीरिया या जीवाणु स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं खड़ी कर सकते हैं, ये पता लगाना अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.

इंपीरियल कॉलेज लंदन में क्लिनिकल रिसर्च फेलो और कंसल्टेंट फिज़िशियन डॉक्टर बेंजामिन मुलिश कहते हैं, ''आप क्या खाते हैं इसका सीधा असर आपके पेट में मौजूद जीवाणुओं पर पड़ता है."''हमने शोध में देखा है कि डाइट में बदलाव- जैसे खाने में मीट की मात्रा कम करने या फ़ाइबर युक्त आहार की मात्रा बढ़ाने जैसे क़दम से पेट के बैक्टीरिया में अहम बदलाव लाए जा सकते हैं.''एंटीबायोटिक्स: चिकित्सा और कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं का ज़्यादा इस्तेमाल पेट के जीवाणुओं को नुक़सान पहुंचा सकता है और एक समय के बाद उन पर इन दवाओं का प्रभाव भी ख़त्म हो जाता है.

जापान की एक हालिया स्टडी में पता चला है कि ज़्यादा दाल और सब्ज़ियां खाने से पेट के फ़ायदेमंद जीवाणुओं को बढ़ावा मिलता है और तनाव कम किया जा सकता है.तक़रीबन एक हज़ार महिलाएं, जिनमें ज़्यादातर स्वस्थ थीं, उन पर एक शोध किया गया. इस शोध में सामने आया है कि प्रोबायोटिक (ज़िंदा बैक्टीरिया जो शरीर के लिए फ़ायदेमंद हों) और फ़ाइबर युक्त खाने का सेवन करने से शरीर में लैक्नोस्पिआ नामक बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ सकती है. ये बैक्टीरिया हमारे पेट की सेहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है.
फ़ाइबर युक्त खाने से भी पाचन क्रिया को बेहतर किया जा सकता है. रिसर्च बताती है कि इससे वैसी बीमारियां जो पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं, उसके ख़तरे को भी कम किया जा सकता है और वज़न को मैनेज करने में मदद करती हैं.
वैसी चीज़ें जिनमें हाई-फ़ाइबर होता है:

साबुत अनाज (जैसे ओट्स, किनुआ, ब्राउन राइस)
फलियां (दाल, छोले, काली बीन्स)
फल (जैसे सेब, केला, बेरीज़)
सब्ज़ियां (जैसे ब्रॉकली, गाजर, आर्टिचोक्स)
नट्स और सीड्स (जैसे बादाम, अलसी, चिया सीड)
ध्यान रहे कि खाने में फ़ाइबर की मात्रा को धीरे-धीरे ही बढ़ाएं. अचानक बढ़ाने से पेट में भारीपन और असहजता हो सकती है. पाचन में मदद के लिए ख़ूब पानी पिएं.

तीसरे हैं पॉलीफ़ेनॉल्स, जो पौधे में पाए जाने वाले वो तत्व होते हैं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज़ होती हैं. ये पेट में सूजन को कम करने और अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करते हैं.
पॉलीफ़ेनॉल्स डार्क चॉकलेट, ग्रीन टी, बेरीज़ जैसे ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, ऑलिव आॉयल आदि में पाए जाते हैं.
ध्यान रहे कि इन्हें अवोकाडो या नट्स जैसे हेल्दी फै़ट्स के साथ खाएं, ताकि शरीर इन्हें अच्छे से अब्ज़ॉर्ब कर सके.
बोन ब्रॉथ भी अच्छा विकल्प है. इसमें कोलेजन और ग्लूटामिन जैसे अमीनो एसिड होते हैं जो पेट की परत को मज़बूत करने और सूजन कम करने में कारगर होते हैं. इसे सूप के साथ या ऐसे भी पिया जा सकता है. हालांकि इसके फ़ायदे साबित करने के लिए अभी और रिसर्च की ज़रूरत है.
क्या न खाएं :
इसमें सबसे पहला नंबर है प्रोसेस्ड फ़ूड का. अगर आप प्रोसेस्ड फ़ूड बहुत ज़्यादा खाते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि इनमें ऐसे तत्व होते हैं जो आपके पेट के अच्छे बैक्टीरिया को नुक़सान पहुंचा सकते हैं.
उदाहरण के लिए चिप्स, बिस्किट, इंस्टेंट नूडल्स, प्रोसेस्ड मीट, मीठे अनाज, रेडी-टू-ईट फ़ूड. अपने पेट की सेहत ठीक रखनी है तो कम प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे नट्स, फ्रूट्स या घर का बना कुछ हेल्दी स्नैक खाएं.
आर्टिफ़िशियल स्वीटनर जैसे एस्पार्टेम और सैकरीन आपके पेट के जीवाणु और ब्लड शुगर पर बुरा असर डाल सकते हैं. ये सबसे अधिक डाइट कोल्ड ड्रिंक, शुगर-फ़्री च्विंगम और लो-कैलोरी स्नैक्स में पाई जाती हैं. इसकी जगह आप स्टीविया या मोंक फ्रूट का विकल्प चुन सकते हैं.
ज़्यादा चीनी की मात्रा वाला खाना
जिस भी खाने में चीनी की मात्रा ज़्यादा होती है, वो हानिकारक बैक्टीरिया के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद करता है. जिससे उनकी तादाद बढ़ती है और पेट में सूजन भी हो सकती है. इसलिए पेस्ट्री, केक, सफ़ेद ब्रेड, पास्ता, सोडा, एनर्जी ड्रिंक, पैकेट वाले जूस जैसी चीज़ों से बचें. मीठा खाने की इच्छा हो तो फल या डार्क चॉकलेट खाएं.
शराब
किसी भी तरह की शराब हो, वो आपके पेट के लिए नुक़सानदेह ही है. इससे नींद, मानसिक सेहत और पेट के बैक्टीरिया पर बुरा असर पड़ सकता है. रेड वाइन में पॉलीफ़ेनॉल्स होते हैं लेकिन शराब का नुक़सान उसके फ़ायदे को कम कर देती है.
अगर शराब पीते हैं तो कम मात्रा में पिएं और साथ में ऐसा कुछ खाएं जो पेट के लिए फ़ायदेमंद हो.
लाल और प्रोसेस्ड मीट
इससे पेट में मौजूद सूक्ष्म जीवों का संतुलन बिगड़ सकता है और कोलोन कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है. इसलिए मछली, दाल या चिकन जैसे हेल्दी प्रोटीन वाले विकल्प को तरजीह दें. बीच-बीच में रेड मीट को खाने में शामिल न करें.

डॉ. मैकडॉनल्ड इस बात पर ज़ोर देते हैं कि खाने में फ़ाइबर की मात्रा को बढ़ाना पेट की अच्छी सेहत का सबसे आसान और असरदार तरीक़ा है. वहीं डाइटिशियन कस्टर्न जैकसन कहती हैं कि रोज़ाना कम से कम तीस ग्राम फ़ाइबर को अपनी डाइट में शामिल करें. ये साबुत अनाज, फल, सब्ज़ियां, सीड्स , नट्स कुछ भी हो सकते हैं. फ़ाइबर सूक्ष्म जीवों को पोषित करता है और क़ब्ज़ जैसी समस्या को दूर करता है.

कुछ आसान उपाय
अपने पेट की अच्छी सेहत के लिए अलग-अलग तरह के प्लांट बेस्ड फ़ूड को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं.
प्रोबायोटिक जैसे दही, कफ़ियर और प्रीबायोटिक जैसे फ़ाइबर युक्त खाने को मिलाकर खाएं.
पानी ख़ूब पिएं ताकी पाचन ठीक से हो.
नींद, कसरत और मेडिटेशन करें, इससे तनाव कम करने में मदद मिलती है.
जब बहुत ज़रूरी हो तभी एंटीबायोटिक लें.
"हर हफ़्ते पेट की सेहत बेहतर करने की दिशा में एक छोटा लक्ष्य तय करें. अगर आप सोच-समझकर खाना खाएंगे और अच्छी जीवनशैली अपनाएंगे तो ये न केवल आपके पाचन तंत्र को मज़बूत करेगा, बल्कि आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्थिति को भी बेहतर बना सकता है."