विकसित कृषि संकल्प अभियान की सफलता को आगे बढ़ाएंगे, ये अभियान थमेगा नहीं
वैज्ञानिकों की 2170 टीमों ने 1.42 लाख से अधिक गांवों में 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से किया सीधा संवाद
दिर में कौन मूर्ति स्थापित होगी, इसके चयन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने रामलला की मूर्ति में बालपन की झलक, सौन्दर्य आकर्षण, रचनात्मक डिजाइन और मूर्तिकार की विचार की गहराई का आकलन किया. साथ ही कमेटी ने पत्थर की गुणवत्ता को भी परखा. मूर्तिकार की प्रतिष्ठा कैसी है, मूर्ति के चयन का यह भी आधार बनी.
अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला बालस्वरूप में विराजेंगे। उनकी प्रतिमा का चयन हो गया है।
अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की कौन-सी प्रतिमा लगाई जाएगी, इस पर फैसला हो गया है। मिली जानकारी के मुताबिक, गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसमें वे बाल स्वरूप में नजर आएंगे।
रामलला मंदिर के गर्भगृह में कमल के फूल पर विराजमान होंगे, जिसके बाद प्रतिमा की लंबाई आठ फीट होगी। इस मूर्ति के भक्त दर्शन कर सकेंगे। कर्नाटक के नीले पत्थरों से प्रतिमा को तैयार किया गया है।
किन आधारों पर हुआ चयन?
बालपन की झलक
सौन्दर्य आकर्षण
रचनात्मक डिजाइन
विचार की गहराई
पत्थर की गुणवत्ता
मूर्ति की आयु
मूर्तिकार की प्रतिष्ठा
अरुण योगिराज का परिवार सालों से मूर्तियां बनाता रहा है. अरुण के मुताबिक, पांच पीढ़ियों से उनका परिवार मूर्ति बनाने के काम में लगा है. अरुण योगिराज ने एमबीए तक पढ़ाई की है. उन्होंने कुछ समय तक एक कंपनी में नौकरी भी की. लेकिन, कुछ ही दिन में उनका मन नौकरी से उब गया. साल 2008 में अरुण योगिराज ने नौकरी छोड़ दी और मूर्तियां बनाने लगे.
अरुण योगिराज अबतक 1 हजार से ज्यादा मूर्तियां बना चुके हैं. केदारनाथ में आदिशंकराचार्य की मूर्ति अरुण योगिराज ने ही बनाई थी. इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भी मूर्ति भी इन्होंने ही बनाई थी. इनकी कला का पीएम मोदी भी कई बार तारीफ कर चुके हैं.मूर्ति के चयन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने मूर्ति में बालपन की झलक, सौन्दर्य आकर्षण, रचनात्मक डिजाइन और मूर्तिकार की विचार की गहराई का आकलन किया. साथ ही कमेटी ने पत्थर की गुणवत्ता को भी परखा. मूर्तिकार की प्रतिष्ठा कैसी है, मूर्ति के चयन का यह भी आधार बनी.
तीन मूर्तिकारों ने मंदिर के लिए 3 मूर्तियां बनाई थीं. इनमें एक मूर्ति सत्यनारायण पांडे की भी थे. सत्यनारायण पांडे के मुताबिक, उन्होंने 40 साल पुरानी मकराना की शिला से रामलला की मूर्ति बनाई थी. उनका दावा था कि उनकी बनाई रामलला की मूर्ति कभी खराब नहीं होगी. उन्होंने राम का बाल स्वरूप बनाया था. सत्यनारायण बताते हैं कि मूर्ति बनाने से पहले उन्होंने ऐसे पत्थर का चुनाव किया, जिसमें कैल्शियम और आयरन हो. वहीं, मंदिर के लिए बैंगलौर के प्रसिद्ध मूर्तिकार जीएल भट्ट ने भी मूर्ति बनाई थी. उन्होंने जो मूर्ति बनाई थी, वह चार फीट के लगभग है.
अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की रस्म 22 जनवरी की दोपहर 12:20 बजे होगी. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा के बाद आरती कीजिए, पास के बाजारों में, मुहल्लों में भगवान का प्रसाद बांटिए और सूर्यास्त के बाद दीप जलाइए.
पुरानी मूर्ति का क्या होगा?
रामलला के नई प्रतिमा स्थापित होने के बाद पुरानी मूर्ति का क्या होगा, यह सवाल हर किसी के मन में आ रहा होगा। इसलिए आपको बता दें कि पुरानी मूर्ति को भी नई प्रतिमा के साथ स्थापित करने की योजना बनाई गई है। बताया जाता है कि नई प्रतिमा को ‘अचल’, जबकि पुरानी को ‘उत्सव’ मूर्ति के तौर पर जाना जाएगा।
राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होगा। इस दौरान गर्भगृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कराई जाएगी। इसे लेकर लोगों में अत्यधिक उत्साह है।
22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कार्यक्रम संबंधित कुछ बिंदु :
सभी परम्पराओं के साधु-सन्त के साथ ही किसी भी क्षेत्र में देश का सम्मान बढ़ाने वाले सभी प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है।
नवस्थापित तीर्थक्षेत्रपुरम (बाग बिजैसी) में टिन का नगर बसाया गया है जिसमे छः नलकूप, छः रसोई घर और दस बिस्तरों वाला एक अस्पताल स्थापित किया जा रहा।
देशभर के लगभग डेढ़ सौ चिकित्सकों ने इसमें क्रमिक सेवा के लिए अपनी स्वीकृति दी है।
इसके साथ नगर के हर कोने में लंगर, भोजनालय, भण्डारा, अन्नक्षेत्र चलेंगे।
करीब चार हजार सन्तों को आमंत्रण भेजा गया है।
प्रयास है कि सभी परम्पराओं के सन्त आएं।
सभी शंकराचार्य महामण्डलेश्वर सिख और बौद्ध पंथ के शीर्ष सन्तों को बुलावा भेजा गया है।
स्वामी नारायण, आर्ट ऑफ लिविंग, गायत्री परिवार, किसान, कला जगत के प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है।
1992 से 1984 के बीच सक्रिय पत्रकारों को भी बुलावा भेजा गया है।
कारसेवकों के परिजनों को भी निमंत्रण भेजा गया है।
रामलला की मूर्ति तीन मूर्तिकारों क्रमशः गणेश भट्ट, अरुण योगिराज, सत्यनारायण पांडेय द्वारा टियर की जा रही है, इनमें में से जो भी मूर्तिकार पांच वर्ष के बालक की कोमलता को उकेरने में सफल होगा, उसी की मूर्ति चुनी जाएगी।
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का पूजन 16 जनवरी से शुरू हो जाएगा
काशी के गणेश्वर शास्त्री द्राविड़, लक्ष्मीकांत दीक्षित (कर्मकांड) पूजा सम्पन्न कराएंगे।
प्राण-प्रतिष्ठा पूजन के बाद 48 दिन की मंडल पूजा होगी जो विश्वप्रसन्न तीर्थ जी के नेतृत्व में होगी।
वैज्ञानिकों की 2170 टीमों ने 1.42 लाख से अधिक गांवों में 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से किया सीधा संवाद
"तीन अमृत भारत ट्रेनें वर्तमान में चालू हैं और उन्हें जनता से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। आने वाले दिनों में छह और अमृत भारत ट्रेनें शुरू की जाएंगी। इसके अलावा, 50 और ट्रेनों का उत्पादन चल रहा है तथा आगे और अधिक बैच आएंगे।"
स्वच्छ भारत के माध्यम से सम्मान सुनिश्चित करने से लेकर जन धन खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन तक विभिन्न पहलों का ध्यान हमारी नारी शक्ति को सशक्त बनाने पर रहा है: प्रधानमंत्री