शराब की कोई भी मात्रा सेफ नहीं होती...आओ थोड़ा साइंटिफिकली समझते हैं कि शराब (अल्कोहल) कैसे और क्या प्रभाव डालता है पीने के बाद सबसे पहले शराब आपके आमाशय (stomach) में जाता है जहाँ इसका 10-15% हिस्सा अवशोषित (absorb) होता है बाकी अधिकांश हिस्सा छोटी आँत में अवशोषित होता है! आमाशय से कुछ अल्कोहल अवशोषित होकर खून के साथ लीवर में जाता है लीवर और आमाशय दोनों में एक एंजाइम होता है- alcohol dehydrogenase जो अल्कोहल (यानी एथनोल) को एसीटैल्डिहाइड में बदलता है जो एथनोल से भी ज़्यादा टॉक्सिक होता है! इस एसीटैल्डिहाइड को लीवर एसीटेट में बदलता है जो आसानी से पच जाता है! लेकिन समस्या तब होती है जब अल्कोहल लीवर की क्षमता से अधिक हो! इसके अलावा लीवर द्वारा अल्कोहल को एसीटेट में बदलने के साथ कुछ मात्रा में अल्कोहल खून के रस्ते पूरे शरीर में फ़ैल जाता है! लीवर शरीर में सभी तरह toxins को ख़त्म करता है! लेकिन हम शराब पीकर उसकी इस क्षमता से अधिक ज़िम्मेदारी दे देते हैं......इसीलिए आपने सुना होगा कि ज़्यादा शराब पीने वालों का लीवर सड़ता है
ब्लड में घुला अल्कोहल ह्रदय द्वारा पूरे शरीर में पहुंचा दिया जाता है! जब अल्कोहल फेफड़ों में पहुँचता है तो उसकी कुछ मात्रा फेफड़ों के alveoli (यूँ समझिये कि छोटे-छोटे हवा के थैले) में evaporate हो जाता है जो हमारी सांस के साथ बाहर निकलता है! ड्रंक-ड्राइविंग टेस्ट के समय ब्रेथलाइजर में यही अल्कोहल मापा जाता है
अल्कोहल मिश्रित ब्लड तेज़ी से पंप होने से मांसपेशियों में प्रोटीन बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है इसलिए भी कहा जाता है कि जिम जाने वाले (या कोई भी) शराब न पियें वर्ना कसरत का फ़ायदा दिखेगा नहीं! अल्कोहल हमारे sympathetic नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करता है जो तय करता है कि हम लड़ेंगे या भागेंगे (फाइट or फ्लाइट). अर्थात इससे ह्रदय गति तेज़ हो जाती है! इसीलिए शराब पीने पर हमें गर्मी लगती है और पसीना भी निकलता है! यही वजह है लोग शराब को सर्दी भगाने का एक जुगाड़ मान बैठते हैं
जब अल्कोहल ब्लड द्वारा ब्रेन तक पहुँचता है तो ये हमारे मूड, हमारी ख़ुशी, फोकस, नींद, पाचन, स्थिरता, मोटिवेशन आदि को नियंत्रित करने वाले न्यूरोट्रांसमिटर सेरोटोनिन और डोपामाइन को प्रभावित करता है! इसी वजह से शराब पीने के बाद आपको आनंद आयेगा, ख़ुशी महसूस होगी, डर या शर्म कम आयेगी लेकिन पाचन, स्थिरता, फोकस, नींद आदि डिस्टर्ब हो सकते हैं! अल्कोहल ब्रेन के दो अन्य न्यूरोट्रांसमिटर- गाबा और ग्लूटामेट के संतुलन को भी बिगाड़ देता है! इससे आपके शरीर के मोटरफंक्शन जैसे चाल, बोलना आदि पर असर पड़ता है इसीलिए आपने देखा होगा कि ज़्यादा शराब पीने वाले लड़खड़ाकर चलते हैं और ठीक से बोल भी नहीं पाते और उससे भी बड़ी बात loss of social anxiety और low inhibition की वजह से डर नहीं लगता और शराबी इसीलिए कभी-कभी ऐसा काम भी कर सकता है जिसको वो नॉर्मली या पब्लिकली करने से डरता है! जैसे बीच सड़क पर खड़े होकर पुलिस को गाली दे सकता है, अपनी पैंट खोलकर नंगे दौड़ सकता है।
अल्कोहल के कारण पिट्यूटरी ग्लैंड ADH (Antidiuretic Hormone) हार्मोन का स्राव कम कर देता है! इस कारण शराब पीने वाले को बार-बार पेशाब आता है! यानि जितना पीते हैं उससे ज़्यादा आप पेशाब द्वारा निकाल देते हैं और आप ख़तरनाक रूप से dehydrated हो सकते हैं! उससे भी ज़्यादा बुरा ये होता है कि शराबी की किडनी द्वारा ज़्यादा पेशाब बनाने के साथ इलेक्ट्रोलाइट भी बहा दिया जाता है! इसका मतलब ये हैं शराबी के rehydrated होने की क्षमता भी कम हो जाती है! अल्कोहल से एड्रेनलिन का स्राव तेज़ हो जाता है! स्ट्रेस बढ़ सकता है! यानि तेज़ ह्रदय गति
अब किसको कितना नशा चढ़ता है या शराब कितना असर करता है, ये बहुत बातों पर निर्भर करता है जैसे शराब की मात्रा, पीने की बारंबारता, आपकी हेल्थ, सेक्स, उमर, जेनेटिक्स! मसलन महिलाओं में बॉडी फैट प्रतिशत ज़्यादा होने से ब्लड वॉल्यूम थोडा कम होता है इसलिए अगर बाकी सारे फैक्टर्स को कांस्टेंट कर दें तो एक समान वजन के महिला और पुरुष द्वारा एक समान मात्रा में शराब लेने के बावजूद असर महिलाओं में थोडा ज़्यादा दिखेगा
ख़ाली पेट शराब पीने से शराब आमाशय से छोटी आँत में जल्दी सरक जाता है और तेज़ी से अवशोषित होने कारण तेज़ी से असर करता है! इसीलिए शराब के साथ चखने या कुछ ठोस खाने की हिदायत होती है अथवा पेग के बीच अंतराल बढ़ा दिया जाता है
हैंगओवर क्या होता है?
ऊपर लिखा असर जब तक रहेगा हैंगओवर उतनी देर तक रहेगा! बिंज ड्रिंकिंग से काफ़ी अल्कोहल सीधे ब्लड में सर्क्युलेट हो जाता है या फिर शराब अपने ख़तरनाक रूप (एसीटैल्डिहाइड) में भी रह सकता है