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भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गति पकड़ रही है, क्योंकि यूपीआई और रुपे दोनों ही दुसरे देशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वर्तमान में, यूपीआई सात देशों में जारी है, जिसमें यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं।
अक्टूबर 2024 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने एक महीने में 16.58 बिलियन वित्तीय लेनदेन को संसाधित करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जो भारत के डिजिटल परिवर्तन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा 2016 में लॉन्च किए गए यूपीआई ने कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन में एकीकृत करके देश के भुगतान इकोसिस्टम में क्रांति ला दी है। यह प्रणाली निर्बाध निधि हस्तांतरण, व्यापारी भुगतान और पीयर-टू-पीयर लेनदेन को सक्षम बनाती है, जो उपयोगकर्ताओं को निर्धारित भुगतान अनुरोधों के माध्यम से लचीलापन प्रदान करती है।
यूपीआई ने न केवल वित्तीय लेन-देन को तेज, सुरक्षित और सरल बना दिया है, बल्कि इसने आम लोगों, छोटे व्यवसायों और व्यापारियों को भी सशक्त बनाया है, जिससे देश नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि समावेशी विकास और आर्थिक प्रगति के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
आंकड़ों में यूपीआई
यूपीआई से अक्टूबर 2024 में 16.58 बिलियन वित्तीय लेनदेन के माध्यम से 23.49 लाख करोड़ रुपये का प्रभावशाली लेनदेन किया गया, जो अक्टूबर 2023 में हुए 11.40 बिलियन लेनदेन की तुलना में 45 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। इसके प्लेटफॉर्म से 632 बैंक जुड़े हैं, तथा इसके उपयोग में यह वृद्धि भारत के भुगतान परिदृश्य में यूपीआई के बढ़ते प्रभुत्व को उजागर करती है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक आम लोग और व्यवसाय डिजिटल लेनदेन की सुविधा और सुरक्षा को अपना रहे हैं, लेनदेन की बढ़ती संख्या और मूल्य देश को नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने में यूपीआई की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं।
यूपीआई को क्या विशिष्ट बनाता है?
यूपीआई ने अपनी सहजता, सुरक्षा और बहुउपयोगिता के साथ भारत में डिजिटल भुगतान को पूरी तरह से बदल दिया है। चौबीसों घंटे लेन-देन की सुविधा प्रदान करके और सिंगल-क्लिक भुगतान और वर्चुअल एड्रेस जैसी सुविधाएँ प्रदान करके, यह उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधा और गोपनीयता दोनों सुनिश्चित करता है। एक ऐप में कई बैंकिंग सेवाओं को एकीकृत करने की इसकी क्षमता इसे वित्तीय प्रौद्योगिकी में एक गेम-चेंजर बनाती है।
यूपीआई क्यों अलग है, यहां कुछ कारण दिए गए हैं:
यूपीआई का प्रभाव
यूपीआई ने छोटे व्यवसायों, रेहड़ी-पटरी वालों और प्रवासी श्रमिकों पर गहरा प्रभाव डाला है, जिससे उन्हें पैसे ट्रांसफर करने और भुगतान प्राप्त करने का एक आसान और कुशल तरीका मिल गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान इसका उपयोग विशेष रूप से तेज़ हुआ, क्योंकि लोगों ने नकद लेनदेन के लिए सुरक्षित, संपर्क रहित विकल्प तलाशे। हालाँकि, यूपीआई की सफलता, इसके बुनियादी ढांचे की मजबूती से कहीं आगे तक है।यह इसके द्वारा प्रेरित व्यवहारगत बदलाव से भी उपजी है, जहाँ प्रणाली में विश्वास और इसकी सुलभता इसके व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने में प्रमुख कारक रहे हैं।
इस बदलाव को सुगम बनाने वाले छोटे लेकिन महत्वपूर्ण नवाचारों में से एक भुगतान ऐप्स द्वारा वॉयस बॉक्स का उपयोग है। ये डिवाइस आमतौर पर स्नैक कार्ट और चाय की दुकानों पर पाए जाते हैं, जो प्रत्येक क्यूआर कोड लेनदेन के साथ प्राप्त होने वाली धनराशि की घोषणा करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि विक्रेता जो अक्सर फ़ोन संदेशों की जांच करने में बहुत व्यस्त होते हैं, उन्हें अपनी कमाई के बारे में पता हो। इस सरल लेकिन प्रभावी सुविधा ने छोटे व्यापारियों का विश्वास जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो पहले नकद लेनदेन के आदी थे और डिजिटल भुगतान से सावधान रहते थे।
यूपीआई की एक अन्य महत्वपूर्ण डिजाइन विशेषता यह है कि इसमें उपयोगकर्ताओं को अपने पसंदीदा भुगतान ऐप चुनने की सुविधा दी गई है, भले ही उनका खाता किसी भी बैंक में हो। इस आसानी ने उपभोक्ताओं को विकल्प चुनने की शक्ति प्रदान की है, जिससे उनके लिए यूपीआई को अपने भुगतान पद्धति के रूप में अपनाना आसान हो गया है।
रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई के साथ एकीकृत करना डिजिटल भुगतान परिदृश्य में एक और क्रांतिकारी कदम है। यह सुविधा उपयोगकर्ताओं को लेनदेन के लिए क्रेडिट कार्ड और यूपीआई दोनों के लाभों तक पहुंच की अनुमति देती है, जिससे वे बचत खातों से पैसे निकालने के बजाय अपनी क्रेडिट लाइनों के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।
यूपीआई का वैश्विक स्तर विस्तार
भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गति पकड़ रही है, क्योंकि यूपीआई और रुपे दोनों ही दुसरे देशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वर्तमान में, यूपीआई सात देशों में जारी है, जिसमें यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं।
फ्रांस में यूपीआई का आना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह यूरोप में पहली बार उपयोग किया जा रहा है। यह विस्तार भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को विदेश में रहते हुए या यात्रा करते हुए भी सहजता से भुगतान करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
अपनी वैश्विक पहुंचसेप्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स समूह के भीतर यूपीआई के विस्तार के लिए सक्रिय रूप से प्रयास किया है, जिसमें अब छह नए सदस्य देश शामिल हो गए हैं। इस पहल से धन प्रेषण प्रवाह को और बढ़ावा मिलने, वित्तीय समावेशन में सुधार होने और वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में भारत का कद और उंचा होने की उम्मीद है।
एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार 2023 तक विश्व में रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 49 प्रतिशत है, जो डिजिटल भुगतान नवाचार में भारत के नेतृत्व को दर्शाता है। यूपीआई की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति और डिजिटल लेनदेन में निरंतर वृद्धि के साथ भारत वित्तीय समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नए वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है।
वैज्ञानिकों की 2170 टीमों ने 1.42 लाख से अधिक गांवों में 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से किया सीधा संवाद
"तीन अमृत भारत ट्रेनें वर्तमान में चालू हैं और उन्हें जनता से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। आने वाले दिनों में छह और अमृत भारत ट्रेनें शुरू की जाएंगी। इसके अलावा, 50 और ट्रेनों का उत्पादन चल रहा है तथा आगे और अधिक बैच आएंगे।"
स्वच्छ भारत के माध्यम से सम्मान सुनिश्चित करने से लेकर जन धन खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन तक विभिन्न पहलों का ध्यान हमारी नारी शक्ति को सशक्त बनाने पर रहा है: प्रधानमंत्री