पेट की अच्छी सेहत के लिए ये खाएं और इन चीज़ों से करें परहेज़
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा होता है कि पेट में एक अजीब सा दबाव और भारीपन बना हुआ महसूस होता है, शरीर में थकान लगती है और बिना किसी वजह के, बस ठीक नहीं लगता?
हमारे पूर्वजों की खोजे बड़ी हैरान करती है,,, उनके तौर तरीके सोच समझ हमसे ज्यादा परिपक्व थे,,, उन्हें पता था,,,कुट्टू अनाज नहीं है,,, पर उसके फलों से आटे जैसा पदार्थ तैयार किया जा सकता है,,,,
उत्तरी भारत में कुट्टू के आटे की पूड़ी व्रत का मुख्य आहार है,,, बहुत से लोगों ने केवल आटा ही देखा होगा,, साबुत कुट्टू कैसा होता है,,, क्यों हम इसे खा सकते हैं,इसके बारे में आज हम कुछ बातें करेंगे....
.कुट्टू का आटा पूर्णत: व्रत में खाया जाता है. यह अनाज नहीं है तो अगर यह अनाज नहीं है तो फिर किस चीज से बनता है? आइए बताते हैं.
कुट्टू को अंग्रेजी में Buckwheat कहा जाता है, इसे स्यूडो सीरियल कहते हैं,,मतलब जो अनाज जैसा लगता है पर यह अनाज नहीं है,, इसका किसी तरह के अनाज से कोई संबंध नहीं है क्योंकि गेहूं, अनाज और घास प्रजाति का पौधा है जबकि कुट्टूस बकव्हीट का लैटिन नाम फैगोपाइरम एस्कलूलेंट है और यह पोलीगोनेसिएइ परिवार का पौधा है.
बकव्हीट पौधे से प्राप्त फल तिकोने आकार का होता है. पीसकर जो आटा तैयार किया जाता है, उसे बकव्हीट यानी कुट्टू का आटा कहा जाता है.
बकव्हीट का पौधा ज्यादा बड़ा नहीं होता है. इसमें गुच्छों में फूल और फल आते हैं. भारत में यह बहुत कम जगहों पर उगाया जाता है. हिमालय के हिस्सों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड और दक्षिण के नीलगिरी में जबकि नॉर्थ ईस्ट राज्यों में उगाया जाता है. भारत में इसका प्रयोग व्रत के दौरान खायी जाने वाली चीजों में ही होता है.
और कहां-कहां होती है इसकी फसल?
जबकि पूरी दुनिया में इसकी सबसे ज्यादा फसल रूस, कजाकिस्तान, यूक्रेन और चीन में होती है. बकव्हीट के आटे से जापान में नूडल्स बनाया जाता है. चीन में इसका सिरका बनता है. जबकि अमेरिका और यूरोप में बकव्हीट केक, बिस्किट, पैनकेक, चीला बनाया जाता है.
पोषण से भरपूर और फायदेमंद
जिन्हें गेहूं से एलर्जी हो, उनके लिए बेहतरीन विकल्प है. इसमें मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, फॉलेट, जिंक, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस भरपूर मात्रा में होता है.
इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट रूटीन भी होता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करता है. सेलियक रोग से पीड़ितों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है.
चूंकि कुट्टू के आटे को चबाना आसान नहीं होता, इसलिए इसे छह घंटे पहले भिगो कर रखा जाता है, फिर इन्हें नर्म बनाने के लिए पकाया जाता है, ताकि आसानी से पच सके. इसमें ग्लूटन नहीं होता, इसलिए इसे बांधने के लिए आलू का प्रयोग किया जाता है.
कुट्टू 75 प्रतिशत जटिल काबोहाइड्रेट है और 25 प्रतिशत हाई क्वॉलिटी प्रोटीन, वजन कम करने में यह बेहतरीन मदद करता है. इसमें अल्फा लाइनोलेनिक एसिड होता है, जो एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और एलडीएल को कम करता है.
यह अघुलनशील फायबर का अच्छा स्रोत है और गालब्लैडर में पत्थरी होने से बचाता है. अमेरिकन जरनल ऑफ गेस्ट्रोएनट्रोलॉजी के मुताबिक, 5 प्रतिशत ज्यादा घुलनशील फायबर लेने से गालब्लैडर की पत्थरी होने का खतरा 10 प्रतिशत कम हो जाता है.
फाइबर से भरपूर और ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने से यह डायब्टीज वालों के लिए बेहतर विकल्प है. कुट्टू के आटे का ग्लिसेमिक इंडेक्स 47 होता है. कुट्टू के आटे में मौजूद चाईरो-इनोसिटोल की पहचान डायबिटीज रोकने वाले तत्व के रूप में की गई है.
कुट्टू की यही विशेषताएं उसे बनाती हैं विशेष,,
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा होता है कि पेट में एक अजीब सा दबाव और भारीपन बना हुआ महसूस होता है, शरीर में थकान लगती है और बिना किसी वजह के, बस ठीक नहीं लगता?
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