मोदी जी तुस्सी ग्रेट हो : 3 स्ट्राइक, तीनों बार पाकिस्तान को चटाई धूल
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हार के पांच बड़े कारण हैं जिनके कारण ब्रिटेन के संसदीय चुनाव में मौजूदा पीएम ऋषि सुनक को करारी हार का सामना करना पड़ा है.
लन्दन। वैसे तो ब्रिटेन में आम चुनाव जनवरी-फरवरी 2025 में होते. लेकिन मई के महीने में पीएम ऋषि सुनक ने तय समय से पहले चुनाव कराने का फैसला कर लिया था. उनके फैसले को उस समय भी सही नहीं माना गया. कंजरवेटिव दलों के नेताओं ने दबी जुबां ऐतराज जताया था. हालांकि सुनक ने कहा कि पार्टी और देश के लिए अच्छा फैसला है. चुनावी प्रचार के दौरान जिस तरह से लेबर पार्टी, टोरी दल पर हमलवार रही उससे भी साफ गया था कि नतीजे टोरियों के खिलाफ जा सकते हैं. अब जब आम चुनाव के नतीजे करीब करीब सामने आ चुके हैं तो सुनक की पार्टी सत्ता से बाहर हो चुकी है, कीयर स्टार्मर की अगुवाई में लेबर पार्टी 400 के आंकड़े को पार कर चुकी है जो जादुई आंकड़े 326 से बहुत अधिक है.
अब सवाल यह कि आखिर ऋषि सुनक की तरफ से वो कौन सी गलती हुई जो ना सिर्फ उनके करियर बल्कि कंजरवेटिव पार्टी को भी नुकसान उठाना पड़ा. हार की वजह समझने से पहले ऋषि सुनक के बारे में थोड़ा जानना जरूरी है. सुनक को कंजरवेटिव पार्टी ने अक्टूबर 2022 में अपना नेता चुना. ब्रिटेन के 210 साल के इतिहास में सबसे कम उम्र के और पहले गैर श्वेत पीएम बने. 2016 में ब्रेक्जिट जनमत संग्रह के बाद ब्रिटेन के लोगों के जीवनस्तर में चुनौतियां आईं. मुद्रास्फीति में कमी तो आई लेकिन महंगाई ने आम ब्रिटन को परेशान कर दिया. खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी को कंजरवेटिव दल रोक नहीं सके और उसका असर सामने आ रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टोरियों का यह सबसे खराब प्रदर्शन है. सरकार के पास इतनी रकम नहीं है कि वो सार्वजनिक खर्च को बढ़ा सके. पेंशनर्स के सामने अलग तरह की चुनौतियां रहीं. कंजरवेटिव पार्टी वाली सरकार के चेहरे बदलते रहे यानी राजनीतिक अस्थिरता बनी रही. यहीं नहीं घोटालों की भी खबरें आईं.
पार्टीगेट कांड को कैसे भुलाया जा सकता है. उसी वजह से बोरिस जॉनसन को इस्तीफा देना पड़ा. जॉनसन के बाद लिज ट्रस के हाथ में सत्ता आई लेकिन उनका कार्यकाल महज 49 दिन का रहा वो आर्थिक मुश्किलों का सामना नहीं कर सकीं. वहीं कमान जब थेरेसा में को मिली तो वो ब्रेक्जिट के बाद किस तरह से आगे बढ़ना है उसे तय नहीं कर पायीं और उसका असर ऋषि सुनक की हार में नजर आ रहा है. ब्रिटेन में अवैध प्रवास को लेकर ऋषि सुनक का रुख कड़ा था. लेकिन जनता ने माना कि यह महज असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है. लोगों को यह यकीन हो चला था कि सुनक के पास भी आर्थिक कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार से निजात पाने की कोई व्यवस्था नहीं है. बिना डॉक्यूमेंट वाले अप्रवासियों को रवांडा भेजे जाने के फैसले को भी ब्रिटिश नागरिकों ने सही नहीं माना और इस विषय पर लेबर पार्टी पहले से हमलावर थी. कोरोना के बाद ब्रिटेन में आर्थिक संकट और महंगाई पर सुनक लगाम लगाने में नाकाम रहे. इस विषय को लेबर पार्टी ने जमकर हवा दी. कीयर स्टार्मर ने जनता से वादा किया कि हमारे पास संशाधनों की कमी नहीं है. लेकिन मौजूदा सरकार उचित निर्णय लेने में पीछे रह गई. इसके साथ ही कामकाजी लोगों से स्पष्ट कहा कि वो टैक्स नहीं बढ़ाने जा रहे हैं. इसके साथ ही बीमा या वैट में भी बढ़ोतरी ना करने का वादा था. जानकार कहते हैं कि फिलिस्तीन- इजरायल युद्ध, यूक्रेन रूस युद्ध में ब्रिटेन की भूमिका से भी लोग नाराज रहे. पहली वजह यह थी कि अमेरिका का पिछलग्गू बनने से बेहतर रहा होता था कि सुनक आजाद फैसला करते। यहीं नहीं यूक्रेन और इजरायल की मदद कर सुनक अपने ही लोगों पर बोझ क्यों डाल रहे हैं. इस बात को कीयर स्टॉर्मर ने जोरशोर से उठाया और उसका नतीजा सामने नजर आ रहा है.
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"आप असफल हो सकते हैं. लेकिन अगर आप कोशिश नहीं करेंगे, तो आप कभी नहीं जान पाएंगे कि आप क्या कर सकते हैं.”- एलन मस्क
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