• 28 Jun, 2025

सिगरेट के कश ने परवीन को हीरोइन बना दिया था

सिगरेट के कश ने परवीन को हीरोइन बना दिया था

सिनेमाई पर्दे पर काफ़ी हद तक परवीन बाबी अकेली कामकाजी और बेहद कॉन्फ़िडेंट महिलाओं की भूमिकाएं निभाती दिखीं .

परवीन बाबी सिनेमाई पर्दे पर वह सबकुछ 70 के दशक में कर रही थीं, जो समाज में स्त्रियों की स्टीरियोटाइप इमेज को तोड़ने वाली थी.जिसके लिए आज भी महिलाएं समाज में कोशिश करती दिखती हैं, अपनी चाहत, आधुनिकता और आत्म निर्भरता के लिए महिलाएं आज करना चाहती हैं. अपने लिए अपने फ़ैसले खुद से लेना आज भी महिलाओं के लिए बड़ी चुनौती है.दीवार की छोटी सी भूमिका में ही परवीन बाबी ने बड़ी लकीर खींच दी थी.यही वजह है कि परवीन बाबी के सक्रिय फ़िल्म करियर के तीन दशक के लंबे अंतराल के बाद भी उनकी भूमिकाएं लोगों को याद हैं.ये बात भी महत्वपूर्ण है कि परवीन बाबी की भूमिकाएं, हीरो को ध्यान में रखकर बनी फिल्मों में नितांत छोटी हुआ करती थीं, लेकिन ये उनके चेहरे और अंदाज़ का जादू था कि छोटी भूमिकाएं भी उन्हें चर्चा में बनाए रखने के लिए काफ़ी थीं.जब सिनेमाई पर्दे पर अच्छी लड़कियों के सलवार सूट और साड़ी पहनने का चलन था, तब पाश्चात्य रंग-ढंग में पली-पढ़ी परवीन बाबी को फ़िल्म निर्देशक बीआर इशारा ने पहली बार क्रिकेटर सलीम दुर्रानी के साथ 1973 में फ़िल्म 'चरित्र' में मौका दिया. फ़िल्म तो फ़्लॉप हो गई, लेकिन परवीन बाबी का जादू चल निकला.4 अप्रैल, 1949 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ के एक मिडिल क्लास मुस्लिम परिवार में जन्मी परवीन बाबी ने अहमदाबाद के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से अंग्रेज़ी साहित्य में बीए किया था और मॉडलिंग में करियर तलाश रही थीं. कई जगहों पर इसका ज़िक्र है कि बीआर इशारा नई अभिनेत्री की तलाश में थे, ऐसे ही किसी दिन उनकी नज़र परवीन बाबी पर पड़ी थी जो उस वक्त सिगरेट का कश लगा रही थीं और इशारा ने तय कर लिया कि उनकी अभिनेत्री मिल गई है.

परवीन बाबी को पहली कामयाबी 'मजबूर' फ़िल्म में मिली अमिताभ बच्चन के साथ 1974 में.इसके बाद एंग्री एंग मैन के साथ परवीन बाबी ने कई कामयाब फ़िल्में कीं जिनमें 'दीवार', 'अमर अकबर एंथनी', 'शान' और 'कालिया' जैसी फ़िल्में शामिल हैं.1976 में परवीन बाबी इस कदर कामयाब हो चुकी थीं कि उस साल प्रतिष्ठित मैग्ज़ीन टाइम ने उन्हें अपने कवर पर छापा था.टाइम के कवर पर जगह पाने वाली पहली बॉलीवुड कलाकार परवीन बाबी थीं.महेश भट्ट के साथ रोमांस के दौरान ही परवीन बाबी को मानसिक बीमारी शुरू हुई थी जिसे महेश भट्ट ने अपने कई इंटरव्यू में पैरानायड स्कित्ज़ोफ़्रेनिया बताया है.हालांकि परवीन बाबी ने ख़ुद को कभी इस बीमारी की चपेट में नहीं बताया. उन्होंने ये ज़रूर माना था कि आनुवांशिक मानसिक बीमारी ने उन्हें चपेट में ले लिया था.अपनी बीमारी के दौरान ही उन्होंने अमिताभ बच्चन सहित दुनिया के नामचीन लोगों से अपनी जान को ख़तरा बताया था.बहरहाल, 1989 में परवीन बाबी भारत लौट आईं और 2005 तक मुंबई में रहीं, बॉलीवुड की चमक दमक से दूर.2005 में परवीन बाबी का  निधन हो गया था।