• 28 Jun, 2025

मैगजीन में फेक विज्ञापन दिया गया था माधुरी को प्रमोट करने

मैगजीन में फेक विज्ञापन दिया गया था माधुरी को प्रमोट करने

कहा जाता है कि सुभाष घई माधुरी के टैलेंट से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्हें कर्मा के उस छोटे से रोल से माधुरी को अपनी फ़िल्म में दिखाना सही नहीं लग रहा था। सुभाष घई माधुरी को लीड हीरोइन के तौर पर लॉन्च करना चाहते थे। जो बाद में उन्होंने किया भी। सुभाष घई ने माधुरी को अपनी फ़िल्म उत्तर-दक्षिण में हीरोइन लिया था। ये भी कहा जाता है कि सुभाष घई ने कई दूसरे डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स को भी माधुरी का नाम र

माधुरी की किस्मत में ही सुपरस्टार बनना लिखा था। तभी तो ईश्वर ने माधुरी की ज़िंदगी में इस आदमी को भेजा। इनका नाम है रिक्कू राकेशनाथ। पहली दफ़ा रिक्कू राकेशनाथ और माधुरी दीक्षित की मुलाकात तब हुई थी जब माधुरी एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस थी। माधुरी उन दिनों पेइंग गेस्ट नामक एक टीवी शो में काम कर रही थी। उस शो की शूटिंग चांदीवली स्टूडियो में चल रही थी। वहीं पर रिक्कू राकेशनाथ और माधुरी पहली दफ़ा मिले थे।

रिक्कू राकेशनाथ को माधुरी से मिलवाया था खातून नामक एक महिला ने। वो महिला उन दिनों माधुरी की हेयरड्रैसर थी। रिक्कू राकेशनाथ से खातून की जानकारी सलमा आग़ा के ज़रिए हुई थी। सलमा आग़ा भी किसी वक्त पर रिक्कू राकेशनाथ की क्लाइंट थी। और तब ख़ातून नामक वो महिला सलमा आग़ा की हेयरड्रैसर हुआ करती थी। खातून ने रिक्कू राकेशनाथ को बताया कि माधुरी बहुत टैलेंटेड लड़की है। उसका चेहरा भी बहुत अच्छा है। जब रिक्कू राकेशनाथ खुद माधुरी से मिले तो उन्हें अहसास हुआ कि खातून ने माधुरी के बारे में जो कहा था, सही कहा था।

शुरुआती हाय-हैलो और थोड़ी सी बातचीत के बाद माधुरी पेइंग गेस्ट के अपने एक सीन की शूटिंग में व्यस्त हो गई। रिक्कू राकेशनाथ एक कोने में खड़े होकर माधुरी को परफॉर्म करते देखने लगे। माधुरी जिस आत्मविश्वास के साथ एक्टिंग कर रही थी, उससे रिक्कू राकेशनाथ बहुत प्रभावित हो रहे थे। शूटिंग के बाद रिक्कू राकेशनाथ ने माधुरी से उनके घर का नंबर ले लिया।

एक दिन रिक्कू राकेशनाथ ने माधुरी को फोन किया। माधुरी ने उन्हें घर आने को कहा। रिक्कू माधुरी के घर पहुंचे। वहां माधुरी की मां से भी उनकी मुलाकात हुई। और रिक्कू राकेशनाथ ने उनके साथ चाय वगैरह भी पी। एक इंटरव्यू में रिक्कू राकेशनाथ ने बताया था कि माधुरी के घर हुई उस पहली विज़िट के बाद उन्हें पता चला कि वो लोग वैसे ही हैं जैसे कोई भी आम मराठी फ़ैमिली होती है। यानि एकदम सिंपल।

इसी दौरान एक दिन खातून ने माधुरी को सुभाष घई से भी मिलवाया। सुभाष घई उन दिनों कर्मा फ़िल्म बना रहे थे। और एक छोटे से डांस सीक्वेंस के लिए उन्हें किसी ऐसी एक्ट्रेस की ज़रूरत थी जो डांस कर लेती हो। सुभाष घई ने वो रोल माधुरी को दे दिया। माधुरी ने वो डांस सीक्वेंस शूट भी किया था। लेकिन कर्मा की फ़ाइनल एडिटिंग के दौरान सुभाष घई ने वो डांस सीक्वें हटा दिया।

कहा जाता है कि सुभाष घई माधुरी के टैलेंट से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्हें कर्मा के उस छोटे से रोल से माधुरी को अपनी फ़िल्म में दिखाना सही नहीं लग रहा था। सुभाष घई माधुरी को लीड हीरोइन के तौर पर लॉन्च करना चाहते थे। जो बाद में उन्होंने किया भी। सुभाष घई ने माधुरी को अपनी फ़िल्म उत्तर-दक्षिण में हीरोइन लिया था। ये भी कहा जाता है कि सुभाष घई ने कई दूसरे डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स को भी माधुरी का नाम रिकमेंड किया था।

रिक्कू राकेशनाथ उन दिनों अनिल कपूर का काम भी संभाल रहे थे। तो उन्होंने अनिल कपूर के भाई और प्रोड्यूसर बोनी कपूर से भी माधुरी दीक्षित के बारे में बात की। फिर एक दिन बोनी कपूर रिक्कू राकेशनाथ को अपने साथ सुभाष घई के ऑफ़िस लेकर गए। वहां इन लोगों ने इस बारे में चर्चा किया कि माधुरी को कैसे प्रमोट किया जाए।

तय हुआ कि स्क्रीन मैगज़ीन में माधुरी के नाम से एक विज्ञापन दिया जाएगा। विज्ञापन में लिखा जाएगा कि एफ.सी.मेहरा, यश चोपड़ा, शशि कपूर और अशोक ठकेरिया जैसे बड़े प्रोड्यूसर्स माधुरी के साथ फ़िल्म बनाने जा रहे हैं। माधुरी एक उभरता हुआ सितारा है। कुछ ऐसा विज्ञापन इन लोगों ने स्क्रीन मैगज़ीन में पब्लिश करा दिया। लेकिन सच ये था कि उस वक्त इनमें से कोई भी प्रोड्यूसर माधुरी के साथ कोई फ़िल्म नहीं बना रहा था। यानि वो विज्ञापन(जो कि एक पेड आर्टिकल था।) सिर्फ़ माधुरी की हाइप बनाने के लिए दिया गया था।

साल 1984 में माधुरी की पहली फ़िल्म अबोध रिलीज़ हुई। और अबोध रिलीज़ होने के पहले सप्ताह के बाद से ही रिक्कू राकेशनाथ ऑफ़िशियली माधुरी दीक्षित के सेक्रेटरी के तौर पर काम करने लगे। अबोध बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। इसलिए माधुरी व रिक्कू राकेशनाथ ने फ़ैसला किया कि वो इस फ़िल्म को थिएटर में जाकर नहीं देखेंगे।

दरअसल, रिक्कू राकेशनाथ अपने लिए इस फ़िल्म को नहीं देखना चाहते थे। उन्हें डर था कि कहीं माधुरी का काम उन्हें पसंद ना आए और वो माधुरी के सेक्रेटरी के तौर पर काम करने को लेकर सोच में ना पड़ जाएं। इस वक्त तक माधुरी कुछ और फ़िल्में खुद से साइन कर चुकी थी जैसे आवारा बाप, स्वाति, मोहरे इत्यादि। इन फ़िल्मों में माधुरी के रोल तो छोटे थे। लेकिन ये फ़िल्में बड़ी थी। उस वक्त माधुरी को सेकेंड या थर्ड लीड कैरेक्टर्स मिल रहे थे।

अबोध के पिटने और सिनेमाघरों से उतर जाने के बाद रिक्कू राकेशनाथ ने इंडस्ट्री के टॉप फोटोग्राफ़र्स जैसे जे.पी.सिंघल, राकेश श्रेष्ण व जयेश सेठ इत्यादि से माधुरी दीक्षित का एक बढ़िया सा पोर्टफ़ोलिया बनवाया। और रिक्कू राकेशनाथ ने जो पहली सबसे सफ़ल फ़िल्म माधुरी दीक्षित को दिलाई, वो थी तेज़ाब। माधुरी को तेज़ाब कैसे मिली थी, ये जानने लायक बात है। और बड़ी दिलचस्प बात भी है।

फ़िल्मकार टी रामा राव ने माधुरी को अपनी फ़िल्म खतरों के खिलाड़ी में साइन किया। उस फ़िल्म में धर्मेंद्र, संजय दत्त, चंकी पांडे व नीलम भी थे। उस वक्त फ़िल्म मैगज़ीन्स व अखबारों में जो विज्ञापन खतरों के खिलाड़ी फ़िल्म का दिया गया था, उसमें फ़िल्म की स्टारकास्ट में माधुरी का नाम सबसे नीचे लिखा गया था। ये बात रिक्कू राकेशनाथ को अच्छी नहीं लगी।

रिक्कू राकेशनाथ ने इस बारे में टी रामा राव से बात की और कहा कि माधुरी को संजय दत्त के अपोज़िट कास्ट किया गया है। और संजय दत्त फ़िल्म के सैकेंड लीड हैं। इसलिए माधुरी का नाम ऊपर लिखा जाना चाहिए। टी रामा राव ने रिक्कू जी से कहा कि स्टारकास्ट के नाम सीनियोरिटी के अनुसार दिए गए हैं। रिक्कू जी ने उनसे कहा कि माधुरी नीलम से सीनियर हैं।

टी रामा राव थोड़ा कन्फ्यूज़ हुए। फिर उन्होंने रिक्कू राकेशनाथ से कहा कि साबित कीजिए माधुरी नीलम से सीनियर हैं। तब रिक्कू राकेशनाथ पहुंचे रमेश बहल के पास। रमेश बहल की फ़िल्म जवानी से नीलम का डेब्यू हुआ था। रिक्कू जी ने रमेश बहल से एक ऐसा लैटर देने की विनती की जिसमें उनकी फ़िल्म जवानी की रिलीज़ डेट लिखी हो। रमेश बहल ने वो लैटर रिक्कू जी को दे दिया।

उसके बाद रिक्कू पहुंचे राजश्री प्रोडक्शन्स के ऑफ़िस। माधुरी की डेब्यू फ़िल्म अबोध राजश्री ने ही बनाई थी। राजश्री वालों ने भी उन्हें अबोध की लिखित रिलीज़ डेट वाला लैटर दे दिया। नीलम की जवानी और माधुरी की अबोध, दोनों ही 1984 में रिलीज़ हुई थी। लेकिन अबोध, जवानी से पहले रिलीज़ हुई थी। इस तरह रिक्कू राकेशनाथ ने टी रामा राव को साबित करके दिखाया कि माधुरी नीलम से सीनियर हैं। टी रामा राव को माधुरी का नाम नीलम से ऊपर करना पड़ा।

जब रिक्कू राकेशनाथ अबोध की रिलीज़ डेट का लिखित लैटर लेने के लिए राजश्री प्रोडक्शन्स के ऑफ़िस गए थे, तब वहां उनकी मुलाकात चंद्रशेखर नरवेकर से हुई। चंद्रशेखर नरवेकर रिक्कू जी के पुराने दोस्त थे। और जानते हैं ये चंद्रशेखर नरवेकर कौन थे? ये थे मशहूर डायरेक्टर एन. चंद्रा। जी हां, एन. चंद्रा जी का रियल नेम चंद्रशेखर नरवेकर है। रिक्कू राकेशनाथ और चंद्रशेखर नरवेकर उर्फ़ एन. चंद्रा की जान-पहचान तब से थी जब एन. चंद्रा गुलज़ार साहब के असिस्टेंट हुआ करते थे।

राजश्री प्रोडक्शन्स के ऑफ़िस में उस दिन एन. चंद्रा ने रिक्कू से कहा,"तुम जानते हो, मैं तुम्हारे हीरो को साइन कर रहा हूं।" एन. चंद्रा अनिल कपूर की बात कर रहे थे। और चूंकि रिक्कू जी तब अनिल कपूर का काम भी संभाल रहे थे तो उन्हें एन. चंद्रा के बताने से पहले ही इस बात की जानकारी थी। मगर जब एन. चंद्रा ने ज़िक्र किया कि वो अनिल के अपोज़िट किसी नई लड़की को हीरोइन लेंगे, तो रिक्रू जी ने उन्हें फौरन माधुरी दीक्षित की तस्वीरें दिखाई।

एन. चंद्रा तब तक भी माधुरी को नहीं पहचानते थे। इसलिए उन्होंने रिक्कू राकेशनाथ से पूछा कि क्या वो माधुरी का कोई काम या किसी सीन की कोई रश फुटेज देख सकते हैं? रिक्कू राकेशनाथ ने फौरन उनके लिए माधुरी की रश फुटेज का इंतज़ाम कर दिया। वो इंतज़ाम ऐसे हुआ कि माधुरी की डेब्यू फ़िल्म अबोध को राजश्री प्रोडक्शन्स ने ही बनाया था। और उस वक्त ये दोनों राजश्री के ऑफ़िस में ही बैठे थे।

रिक्कू जी ने राजश्री के मैनेजमेंट से रिक्वेस्ट की, कि एन. चंद्रा को अबोध फ़िल्म वाले माधुरी के कुछ दृश्य दिखाए जाएं। राजश्री वालों ने उनकी रिक्वेस्ट मान ली। लंच ब्रेक के दौरान एन. चंद्रा के लिए अबोध की कुछ क्लिप्स प्ले की गई। अबोध में माधुरी ने एक पारंपरिक भारतीय लड़की का किरदार निभाया था। एन. चंद्रा को माधुरी और उनका काम पसंद आया। अबोध में माधुरी ने डांस भी किया था। एन. चंद्रा सबसे अधिक प्रभावित माधुरी के डांस से ही हुए थे।

आखिरकार एक दिन रिक्कू राकेशनाथ ने माधुरी और एन. चंद्रा को मिलवाया। कुछ बातचीत के बाद एन. चंद्रा ने माधुरी को तेज़ाब फ़िल्म की हीरोइन के तौर पर साइन कर लिया। अनिल कपूर को बताया गया कि तेज़ाब में उनकी हीरोइन एक नई हीरोइन होगी। और ये नई हीरोइन वही है जिसने अबोध में काम किया था। अनिल कपूर ने कहा कि वो अच्छी दिखती है। लेकिन वो कैबरे डांसर तो बिल्कुल भी नहीं लगती। मगर बाद में अनिल कपूर को भी पता चल ही गया कि माधुरी क्या चीज़ हैं।

खैर, माधुरी का ऑडिशन लिया गया। माधुरी उस ऑडिशन में पास हो गई। माधुरी के ऑडिशन के वक्त बाबा आज़मी कैमरा संभाल रहे थे। उन्हें भी माधुरी बहुत पसंद आई। माधुरी ने तेज़ाब में काम किया। तेज़ाब रिलीज़ हुई। और तेज़ाब ने उस साल बॉक्स ऑफ़िस पर क्या गदर मचाया था ये तो हम सभी जानते है। 1988 की सबसे कामयाब फ़िल्म साबित हुई थी तेज़ाब। माधुरी की किस्मत का सितारा तेज़ाब के रिलीज़ होने के बाद पूरी तरह से बदल गया था।

फ़िल्म इंडस्ट्री में हर तरफ़ माधुरी-माधुरी हो रहा था। और माधुरी दीक्षित को वो सफ़लता दिलाने वाला शख्स कौन था? रिक्कू राकेशनाथ। सोचिए अगर खतरों के खिलाड़ी फ़िल्म के एक विज्ञापन में माधुरी का नाम ऊपर पब्लिश कराने के लिए उस दिन रिक्कू राकेशनाथ टी रामा राव से ना भिड़ते और तमाम भागदौड़ ना करते, तो क्या माधुरी को तेज़ाब फ़िल्म मिल पाती? नहीं। माधुरी की किस्मत में सुपरस्टार बनना लिखा था। और सुपरस्टार वो ज़रूर बनती। मगर तब शायद उनका सफ़र ऐसा ना होता। तब शायद तेज़ाब से अलग, कोई और फ़िल्म होती जो उन्हें सुपरस्टार बनाती।

आज माधुरी दीक्षित का जन्मदिन है। 15 मई 1967 को माधुरी दीक्षित का जन्म हुआ था। जन्मदिन आज माधुरी जी का है। लेकिन गुणगान मैंने कर दिया उनके सेक्रेटरी रहे रिक्कू राकेशनाथ जी का। उम्मीद करता हूं आपको ये कहानी पसंद भी आई होगी। अपना फीडबैक देकर बताइएगा ज़रूर कि कहानी आपको कैसी लगी।

रिक्कू राकेशनाथ जी ने स्वंय ही ये सारी कहानी पत्रकार पैट्सी एन. को दिए एक इंटरव्यू में बताई थी। उन्होंने बहुत लंबा इंटरव्यू दिया था। एक ही लेख में वो सारा इंटरव्यू मैं नहीं लिख सकता था। अगर लिख देता तो ये लेख इतना लंबा हो जाता कि इसे पढ़ते-पढ़ते नेशनल एक्सप्रेस वे-3 पर सफ़र करने वाले लोग दिल्ली से मेरठ या मेरठ से दिल्ली पहुंच जाते।