विकसित कृषि संकल्प अभियान की सफलता को आगे बढ़ाएंगे, ये अभियान थमेगा नहीं
वैज्ञानिकों की 2170 टीमों ने 1.42 लाख से अधिक गांवों में 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से किया सीधा संवाद
केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद जिस तरह से संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान आया है वह भाजपा और संघ के रिश्ते किस तरह के हैं यह खुलकर के सामने आ गया है।
नयी दिल्ली। बात अब खुल कर सामने आ गई है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा, भाजपा और खासकर नरेंद्र मोदी से बेहद खफा है| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत या कोई बड़ा पदाधिकारी मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुआ था| सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान , जिसमें उन्होंने नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा - "सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को कोई चोट पहुंचाए बिना काम करता है|" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे जिन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नहीं प्रधान सेवक हैं| मोहन भागवत ने संभवत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ ही इशारा करके कहा है कि चुनाव में शिष्टाचार का ध्यान नहीं रखा गया| रविवार को शपथ ग्रहण के बाद अगले दिन जिस समय नई गठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट बैठक हो रही थी, ठीक उसी समय मोहन भागवत नागपुर में स्वयंसेवकों के विकास वर्ग के समापन कार्यक्रम में आरएसएस पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे| चुनावों के दौरान ऐसी कई खबरें आई थीं कि संघ के स्वयंसेवक इस बार भाजपा उम्मीदवारों के लिए पहले जैसी ऊर्जा से काम नहीं कर रहे| ये खबरें कितनी सही थी, कितनी गलत, यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद इन खबरों को ज्यादा हवा मिली कि यह संघ की नाराजगी का प्रतिफल है कि भाजपा को महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और हरियाणा में काफी सीटों का नुकसान झेलना पड़ा|
संघ कुछ कारणों से भाजपा से नाराज है| चुनावों के दौरान ऐसी दो बातें हुई थीं, जिनसे संघ की तथाकथित नाराजगी की खबरें बनी थी| एक तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का वह बयान था, जिसे मीडिया ने तोड़ मरोड़ कर पेश किया था कि भाजपा संघ पर निर्भर नहीं है, वह सक्षम है, और उसे संघ की जरूरत नहीं है| संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर में दो समुदायों के बीच हुई हिंसा पर भी बोला| विपक्ष ने चुनावों में आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानबूझ कर मणिपुर की अनदेखी की| मणिपुर का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा, "हर जगह सामाजिक वैमनस्य है, यह अच्छा नहीं है| पिछले एक साल से मणिपुर शांति का इंतजार कर रहा है| पिछले एक दशक से यह शांतिपूर्ण था| ऐसा प्रतीत होता था कि पुराने समय की बंदूक संस्कृति ख़त्म हो गई थी, लेकिन बंदूक संस्कृति अचानक फिर उभर आई, या उभारी गई|" भागवत ने एक तरह से सरकार पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि "मणिपुर आज भी जल रहा है, इस पर कौन ध्यान देगा? इससे प्राथमिकता से निपटना सरकार का कर्तव्य है|" तो एक तरह से उन्होंने कहा कि पिछले सात आठ महीनों से सरकार अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रही है| एक और घटना थी, जिस कारण संघ की नाराजगी की अवधारणा को बल मिला| वह घटना यह थी कि भाजपा ने उस कृपाशंकर सिंह को भाजपा में प्रवेश और उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट से लोकसभा का टिकट दे दिया था, जिसने मुम्बई में हुए 26/11 के आतंकी हमले को आरएसएस की साजिश बताया था|
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चुनावों में इस्तेमाल की गई भाषा और विपक्ष की ओर से बिना वजह आरएसएस को घसीटे जाने से भी क्षुब्ध दिखाई दिए, जब उन्होंने कहा कि चुनावों को एक प्रतियोगिता के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि युद्ध के रूप में| "जिस तरह की बातें कही गईं, जिस तरह से दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को आड़े हाथों लिया... जिस तरह से किसी ने भी इस बात की परवाह नहीं की कि किस वजह से सामाजिक विभाजन पैदा हो रहा है|...और बिना किसी कारण संघ को इसमें घसीटा गया...तकनीक का इस्तेमाल कर झूठ फैलाया गया| क्या ज्ञान का उपयोग इसी तरह किया जाना चाहिए? ऐसे कैसे चलेगा देश?" फिर बिना नरेंद्र मोदी या भाजपा के अन्य नेताओं का नाम लिए मोहन भागवत ने कहा कि वह विपक्ष को विरोध पक्ष नहीं कहते, वह इसे प्रतिपक्ष कहते हैं और प्रतिपक्ष विरोधी नहीं होता, प्रतिपक्ष भी एक पक्ष को उजागर कर रहा है और इस पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए| भागवत ने कहा कि "हर सिक्के के दो पहलू होते हैं| दोनों पहलुओं की जानकारी लेकर ही निर्णय लेने की हमारी परम्परा रही है।"
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"तीन अमृत भारत ट्रेनें वर्तमान में चालू हैं और उन्हें जनता से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। आने वाले दिनों में छह और अमृत भारत ट्रेनें शुरू की जाएंगी। इसके अलावा, 50 और ट्रेनों का उत्पादन चल रहा है तथा आगे और अधिक बैच आएंगे।"
स्वच्छ भारत के माध्यम से सम्मान सुनिश्चित करने से लेकर जन धन खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन तक विभिन्न पहलों का ध्यान हमारी नारी शक्ति को सशक्त बनाने पर रहा है: प्रधानमंत्री