मुंबई में ब्रिज का नामकरण , रखा 'सिंदूर ब्रिज' नाम
अगस्त 2022 में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते 150 साल पुराने कार्नैक ब्रिज को ध्वस्त किए जाने के बाद इसे बनाया गया है। यह ब्रिज प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल 328 मीटर लंबा है।
श्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में स्वच्छता ही सेवा, 2024 अभियान में भाग लिया ,केंद्रीय मंत्री ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों को स्वच्छता और टिकाऊ पर्यावरण की शपथ दिलाई , 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत सूचना भवन में पौधारोपण भी किया
नयी दिल्ली / केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) द्वारा सूचना भवन में आयोजित स्वच्छता ही सेवा, 2024 अभियान के तहत कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, जिसमें स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर दिया गया।
केंद्रीय मंत्री ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सूचना भवन में शपथ दिलाई, जहां पर प्रतिभागियों ने अपने प्रभाव क्षेत्र में स्वच्छता तथा टिकाऊ कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को आगे बढ़ाते हुए श्री अश्विनी वैष्णव ने स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के दोहरे उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए पौधारोपण अभियान भी शुरू किया। उन्होंने स्वयं भी कर्मचारियों को पौधे वितरित किए तथा पर्यावरण के प्रति व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर जोर दिया।इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री श्री एल. मुरुगन, सूचना एवं प्रसारण सचिव श्री संजय जाजू, भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारीगण, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अन्य प्रभागों के मीडिया प्रमुख तथा बड़ी संख्या में अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
अगस्त 2022 में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते 150 साल पुराने कार्नैक ब्रिज को ध्वस्त किए जाने के बाद इसे बनाया गया है। यह ब्रिज प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल 328 मीटर लंबा है।
कांग्रेस से संबद्ध पांच प्रधानमंत्रियों ने करीब सात दशक में कुल 17 बार विदेशी संसद को संबोधित किया था। अधिकारियों ने बताया कि पीएम मोदी ने इस आंकड़े की बराबरी कर ली है।
आपको याद होगा कुछ समय पहले इजरायल में संकट हुआ था तो भारत ने अपने लोगों को वहां काम करने के लिए भेजा था. अब एक और दोस्त देश भारतीयों को बुला रहा है. वहां के लोग या तो यूक्रेन से जंग लड़ रहे हैं या फिर ऐसे काम करना नहीं चाहते हैं. इसी साल अगर आप रूस जाकर काम करने की इच्छा रखते हैं तो ऐसे 10 लाख लोगों की भर्ती होने वाली है.